नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने धर्म का अपमान करने और न करने को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। जी हां, न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा है कि यदि गलती से या फिर अनजाने में कोई भी व्यक्ति धर्म का अपमान कर देता है तो फिर उसके विरूद्ध मामला नहीं बनता। इसे कानून का गलत उपयोग नहीं माना जाता है।
न्यायालय ने कहा कि अनचाहे तरीके से या फिर लापरवाही में बिना किसी खराब मंशा के धर्म का अपमान होता है तो फिर किसी वर्ग विशेष की धार्मिक भावनाऐं भड़काती हैं तो फिर यह कानून की धारा में शामिल नहीं होता है। गौरतलब है कि पहले ही इन्फर्मेशन टेक्नोलाॅजी एक्ट 2000 के सेक्शन 66 ए को समाप्त कर सर्वोच्च न्यायालय ने सोशल मीडिया उपयोगकर्ता के पक्ष में बात की थी इसके बाद सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को काफी राहत महसूस होने लगी है।
न्यायालय ने कानून की धारा 295 ए के गलत उपयोग को लेकर चिंता व्यक्त की। गौरतलब है कि वर्ष 2013 में लोकप्रिय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को लेकर एक विवाद सामने आया था, जिसमें एक पत्रिका के कवर पेज पर उन्हें भगवान श्री विष्णु की तरह दर्शाया गया था।
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