नई दिल्ली : जब से मालेगांव बम धमाके के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिली है, तब से राजनीति गर्मा गई है. हालाँकि पुरोहित को करीब नौ साल बाद ज़मानत मिली है. बता दें कि मालेगांव मामले की एक अन्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा को भी एनआईए क्लीनचिट दे चुकी है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि बीजेपी सरकार सभी बम विस्फोट मामलों में संघ से जुड़े हर आरोपी को बचा रही है. जबकि इसके जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा, जो भी न्याय का हकदार है वह इसे पाएगा. न्यायपालिका में हस्तक्षेप उचित नहीं है.
उल्लेखनीय है कि पुरोहित की जमानत को लेकर सियासत तेज हो गई है. पुरोहित को जमानत मिलने पर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों का आरोप है कि भाजपा शासनकाल में हिंदुवादी संगठनों से जुड़े आरोपियों को क्लीनचिट दी जा रही है. जबकि भाजपा ने कांग्रेस पर कथित हिंदू आतंकवाद के नाम पर साजिश कर बेगुनाहों को फंसाने का आरोप लगाया है.
बता दें कि श्रीकांत पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में बंबई हाईकोर्ट के 25 अप्रैल के फैसले को चुनौती देकर जमानत की मांग की थी, क्योंकि इसी मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जमानत दे दी थी, लेकिन पुरोहित की याचिका खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और न्यायमूर्ति एएम सप्रे की पीठ ने सुनवाई के बाद पुरोहित को अंततः ज़मानत दे दी. ज़मानत के लिए कोर्ट ने एटीएस मुंबई और एनआईए की चार्जशीटों में भारी विरोधाभास को आधार बनाया. जिनका परीक्षण ट्रायल के समय होगा. कोर्ट ने कहा नौ साल से याचिकाकर्ता जेल में है और वह प्रथमदृष्टया जमानत लेने का हकदार है.
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