लखनऊ। उत्तरप्रदेश में एक ओर विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान के पहले के प्रचार प्रसार की धूम है तो दूसरी ओर सर्वोच्च न्यायालय ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मसले पर आपराधिक प्रकरण के मामले में देरी होने पर चिंता व्यक्त की। गौरतलब है कि इस मामले में कुछ प्रकरण लखनऊ के थे। लखनऊ के मामले में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री उमा भारती, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह आदि को राहत प्रदान की गई थी।
इन नेताओं के साथ 19 बड़े नेताओं पर साज़िश की धारा लगाई गई थी। मगर इसे हटाया जा चुका है। धारा हटने पर सीबीआई ने अपनी ओर से चुनौती दी थी। लोगों द्वारा दलील दी गई थी कि वर्ष 2010 में उच्च न्यायालय के निर्णय के विरूद्ध केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने 9 माह की देरी से अपील भी की थी। इसी आधार पर इस प्रकरण को समाप्त किए जाने की मांग की गई। गौरतलब है कि बाबरी विध्वंस मसले पर लखनऊ, रायबरेली में चल रहे मामलों को एक ही न्यायालय में चलाने को लेकर सीबीआई से एससी ने सवाल किए थे कि क्या ये मामले एक ही न्यायालय में चलाए जा सकते हैं।
ऐसे में लखनऊ वाले मसले पर भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार के 19 बड़े नेताओं पर से साज़िश की धारा हटाई जा चुकी है। दरअसल रायबरेली में भीड़ को भडकाने का आरोप लोगों पर लगाया गया था तो दूसरी ओर लखनऊ में बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को ढहाने का मामला आरोपित था। न्यायालय ने इन मामलों में देरी पर गंभीरता से सवाल किया और कहा कि क्या इन मामलों में जल्द सुनवाई हो।
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