उज्जैन : अब तक तीन तलाक को लेकर आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड और विभिन्न संगठन अपना विरोध दर्ज करवाते आए हैं। तो दूसरी ओर यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में है और कथित तौर पर मुस्लिम महिलाओं द्वारा तीन तलाक को बंद करने की मांग की जाती रही है। मगर मध्यप्रदेश के उज्जैन में एक महत्वपूर्ण निर्णय कुटुंब न्यायालय ने दिया है, जिसके अनुसार तीन तलाक को विधि विरूद्ध और प्रभावहीन व शून्य बताया है।
इस मामले में न्यायाधीश ओमप्रकाश शर्मा ने सुनवाई करते हुए कहा कि यह शून्य हो सकता है। दरअसल बेगमबाग निवासी लियाकत खान की पुत्री अर्शी का निकाह देवास के रेवाबाग खुर्शीद मंजिल के पीछे निवासी तौसिफ शेख के साथ 19 जनवरी 2013 को हुआ था। पत्नि से ससुरालवालों ने रूपयों की मांग की। पत्नी द्वारा पति के विरूद्ध दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाया।
इस मामले में जब न्यायालय ने पति से जवाब मांगा तो पति तौसिफ ने कहा कि 9 अक्टूबर 2014 को शाबिर शेख, अजहर और साजिद अली देवास के सामने मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार उज्जैन न्यायालय में अर्शी को मौखिक तलाक दे दिया गया था, जिसके बाद अर्शी को नोटिस प्रदान कर सूचना दी गई।
सूचना में कहा गया कि न्यायालय परिसर से बाहर निकलते समय तलाक दिया गया। न्यायालय ने इस मामले में कहा कि तलाक के इस मामले में पति और पत्नि के एक दूसरे के सामने मौजूद होने के प्रमाण नहीं मिले हैं ऐसे में यह शून्य हो सकता है। इस मामले में न तो किसी के कथन हुए हैं और न ही नोटिस के पूर्व उसके परिवार के बीच सुलह वार्ता हुई है। न्यायालय ने इस मामले में संदर्भों का हवाला भी दिया।
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