नई दिल्ली: उत्तराखंड में चार धाम यात्रा से संबंधित तीन सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने को सर्वोच्च न्यायालय ने देश की सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण माना है। प्रोजेक्ट के खिलाफ एक NGO की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि देश की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है। हाल के दिनों में बॉर्डर पर हुई घटनाओं को देखते हुए इसे नज़रअन्दाज़ नहीं किया जा सकता।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हम नहीं चाहते कि भारतीय सैनिक 1962 के हालात में हों, मगर रक्षा और पर्यावरण दोनों की आवश्यकताएं संतुलित होनी चाहिए। दरअसल, केंद्र सरकार ने चीन बॉर्डर तक की सड़कों को 10 मीटर चौड़ा करने के लिए शीर्ष अदालत से मंजूरी मांगी है। जबकि एक NGO सड़क चौड़ीकरण की खिलाफत कर रहा है। उसका कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई होने से भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय के सितंबर 2020 के आदेश के अनुसार, इन सड़कों की चौड़ाई 5.5 मीटर से ज्यादा नहीं हो सकती है।
केंद्र सरकार ने दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में एक सीलबंद लिफाफा दाखिल किया था। इसमें चीन की ओर से किए गए कंस्ट्रक्शन की तस्वीरें थीं। सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट में कहा कि चीन द्वारा हवाई पट्टी, हेलीपैड, टैंकों, सैनिकों के लिए बिल्डिंग्स और रेलवे लाइनों का निर्माण किया जा रहा है। इसलिए युद्ध के समय या आपात स्थिति में टैंक, रॉकेट लांचर और तोप ले जाने वाले ट्रकों को इन सड़कों से गुजरना पड़ सकता है, इसलिए सड़क की चौड़ाई 10 मीटर होनी चाहिए।
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