बैंगलोर: कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में उच्च न्यायालय द्वारा हिजाब पहनने पर रोक के फैसले को चुनौती देने वाली अर्जी पर बुधवार (7 सितम्बर) को शीर्ष अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में जजों और वकीलों में जबरदस्त बहस देखने को मिली। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने मामले की सुनवाई के दौरान एक वकील से कहा कि इस मामले में आप अतार्किक नहीं हो सकते। क्या राइट टू ड्रेस के साथ राइट टू अनड्रेस भी शामिल है? इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील देव दत्त कामत ने कहा कि, कोई भी स्कूल में अनड्रेस नहीं हो रहा। इस पर जज गुप्ता ने कहा कि, 'समस्या यह है कि एक समुदाय विशेष के लोग हिजाब पहनने की मांग कर रहे हैं। वहीं अन्य समुदाय के लोग ड्रेस कोड का पालन कर रहे हैं। अन्य समुदायों के विद्यार्थी तो यह नहीं कह रहे कि हम यही पहनना चाहते हैं और यह नहीं।'
बहस के दौरान वकील कामत ने कहा कि काफी सारे छात्र क्रॉस और रुद्राक्ष पहनकर शिक्षण संसथान में आते हैं। इस पर नयायधीश ने कहा कि रुद्राक्ष और क्रॉस शर्ट के भीतर पहनी जाती हैं। कोई भी शर्ट उतारकर यह नहीं देखता कि छात्र ने रुद्राक्ष पहन रखा है या नहीं। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कहा कि, 'आपके पास धार्मिक अधिकार हो सकता है और उसे आप अपने अनुसार मान सकते हैं। मगर, क्या आप इस मान्यता को स्कूल तक ले जा सकते हैं, जब सभी बच्चों के लिए एक ड्रेस निर्धारित है। मुख्य सवाल इसी बात पर है।' संविधान की धारा 25 के तहत धार्मिक आजादी के सवाल पर अदालत ने कहा कि यह मसला थोड़ा सा अलग है। यह आवश्यक भी हो सकता है और नहीं भी।
जज ने वकीलों से कहा कि हम यह कहना चाहते हैं कि क्या सरकारी संस्थान में आप अपनी धार्मिक मान्यताओं को मानने पर जोर दे सकते हैं क्योंकि हमारे संविधान की प्रस्ताव भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश बताती है। हालांकि, फिलहाल कोर्ट ने इस मामले में कोई फैसला नहीं दिया है और गुरुवार को भी इसकी सुनवाई जारी रखने की बात कही है। बता दें कि यह विवाद इसी साल कर्नाटक के उडुपी जिले के पीयू कॉलेज से शुरू हुआ था। जब 6 मुस्लिम छात्राओं ने इल्जाम लगाते हुए कहा था कि उन्हें क्लासरूप में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है, क्योंकि उन्होंने हिजाब पहन रखा था।
छात्राओं ने हिजाब पर रोक के विरोध में प्रदर्शन भी शुरू कर दिया था और फिर यह धीरे-धीरे राज्यवापी आंदोलन में बदल गया था। इतना ही नहीं इस आंदोलन में हिंसा भी देखने को मिली और कट्टरपंथियों ने हर्षा और प्रवीण नेत्तारु की हत्या भी हिजाब मामले को लेकर ही की थी। इन दोनों ने केवल कक्षा में हिजाब पहनने के विरोध में एक सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। छात्राओं के विरोध पर कॉलेज के प्रिंसिपल ने कहा था कि परिसर में हिजाब पहना जा सकता है, मगर कक्षा में एंट्री से पहले इसे उतारना होगा। काफी विवाद के बाद मामला उच्च न्यायालय पहुंचा था, जिसने शिक्षण संस्थानों के फैसले को ही सही मानते हुए हिजाब पर प्रतिबंध जारी रखने का आदेश दिया था। लेकिन, हिजाब की मांग कर रहे लोग हाई कोर्ट के आदेश को मानने के लिए तैयार नहीं है, इसी कारण उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है।
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