नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय सोमवार को कोरोना महामारी के दौरान वित्तीय चुनौती का सामना कर रहे कर्जदारों को राहत देने की एक जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा. वकील विशाल तिवारी द्वारा दाखिल की गई इस याचिका में आर्थिक चुनौतियों से उबरने के लिए केंद्र सरकार को कदम उठाने को लेकर दिशा-निर्देश देने की मांग की गई है. इस जनहित याचिका पर शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एमआर शाह की वेकेशन बेंच सुनवाई करेगी.
याचिका में सभी बैंकों या आर्थिक संस्थानों को टर्म लोन पर ब्याज की छूट देने और कर्ज के इंस्टॉलमेंट भुगतान को 6 महीने या कोरोना की स्थिति सामान्य होने तक स्थगति करने के लिए केंद्र सरकार को गाइडलाइन्स देने की मांग की गई है. इसके साथ ही केंद्र द्वारा बैंको और दूसरी आर्थिक कंपनियों को यह भी निर्देश देने की मांग की गई है कि 6 महीनों के लिए कर्जदारों पर कोई कार्रवाई ना हों, क्योंकि लॉकडाउन जैसी पाबंदियों के चलते रोजाना कमान वालों पर बुरा असर पड़ा है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में कहा गया है कि, “उनका (कर्जदारों का) आर्थिक बोझ कम किया जाना चाहिए. वित्तीय नीतियां सरकार द्वारा बनाई जाती हैं, किन्तु मौजूदा स्थिति में वित्तीय नीति से अधिक, लोगों के अस्तित्व का सवाल है. और देश के लोगों को सम्मान और बगैर किसी तनाव के जीना चाहिए.”
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