नई दिल्ली: राजस्थान में जारी सियासी घमासान पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई जारी है. विधानसभा स्पीकर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट दलीलें सुन रही है. सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने कहा कि मान लीजिए किसी नेता का किसी पर यकीन नहीं, तो क्या आवाज उठाने पर उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा. पार्टी में रहते हुए वे अयोग्य नहीं हो सकते, फिर ये यह एक उपकरण बन जाएगा और कोई भी आवाज नहीं उठा सकेगा. लोकतंत्र में असंतोष की आवाज इस तरह दबाई नहीं जा सकती.
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने स्पीकर के वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि क्या लोकतंत्र में असहमति (विधायकों की आवाज) को बंद किया जा सकता है? यह कोई छोटी बात नहीं है. ये जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि हैं. न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा कि स्पीकर कोर्ट क्यों आए? वो नुट्रल होते हैं. वो कोई प्रभावित पक्ष नहीं हैं. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने पूछा आखिर किस आधार पर अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी?
इस पर कपिल सिब्बल ने जवाब देते हुए कहा कि स्पीकर ने विधायकों से 17 जुलाई तक जवाब देने को कहा था, किन्तु इससे पहले ही सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी. ये पूरी तरह विधानसभा अध्यक्ष के अधिकारों का हनन हो रहा है. कानून के अनुसार, स्पीकर यदि विधायकों को अयोग्य ठहराने का फैसला सुनाते हैं, तो उसके खिलाफ कोर्ट में जाया जा सकता है, किन्तु सिर्फ नोटिस को उच्च न्यायालय या शीर्ष अदालत में जाने का मतलब क्या है.
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