नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने झारखंड उच्च न्यायालय से मंगलवार को कहा है कि वह उस जनहित याचिका के सुनवाई योग्य होने संबंधी प्रारंभिक आपत्तियों पर पहले सुनवाई करे, जिसमें झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों और सहयोगियों द्वारा चलाई जा रही कुछ सेल कंपनियों के ट्रांसक्शन और खनन पट्टों की कथित मंजूरी की जांच का आग्रह किया गया है।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने 13 मई के अपने आदेश में खुद कहा था कि वह पहले इस बात पर विचार करेगा कि शिव कुमार शर्मा द्वारा दाखिल की गई जनहित याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं और फिर वह याचिका में लगाए गए आरोपों के गुण-दोष पर गौर करेगा।
अदालत ने कहा कि, 'हमारा विचार है कि उच्च न्यायालय रिट याचिका के सुनवाई योग्य होने संबंधी प्रारंभिक आपत्तियों पर पहले विचार करेगा और फिर कानून के मुताबिक आगे बढ़ेगा।' सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने मामले के गुण-दोष के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की है और न ही याचिका में लगाए गए आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
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