नई दिल्ली: वैवाहिक विवादों में पीड़िता के गुजारा भत्ता के भुगतान को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत ने विस्तृत गाइड लाइन जारी की है. अब विवाद के कोर्ट में जाने के बाद ही दोनों पक्षों को अपनी आमदनी के स्रोत और आय की पूरी जानकारी देनी होगी. इसके बाद ही गुजारा भत्ता की रकम निर्धारित की जाएगी. कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी ताकीद की है कि उच्च न्यायालय इस पर अमल करेंगे.
सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति इंदु मलहोत्रा और न्यायमूर्ति सुभाष रेड्डी की पीठ ने अपने इस महत्वपूर्ण फैसले में विस्तार से गाइडलाइन के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी है, यानी विवाद की सुनवाई जारी रहने के दौरान अंतरिम गुजारा भत्ता की रकम अवधि और अन्य पहलुओं पर भी स्थिति साफ़ कर दी गई है. शीर्ष अदालत ने अपनी गाइडलाइन के अनुसार, अब दोनों पति-पत्नी को उस तारीख से अपनी आमदनी और संपत्ति का ब्यौरा देना होगा, जिस दिन गुजारा भत्ता के लिए अर्जी लगाई गई हो. इसके साथ ही जब तक आय और संपत्ति का खुलासा नहीं होता है, तब तक गुजारा भत्ता न दे पाने तक गिरफ्तारी या जेल भेजने की प्रक्रिया पर रोक रहेगी.
न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति सुभाष रेड्डी की बेंच ने बुधवार को यह सुनिश्चित किया कि पति या पत्नी को गुजारा भत्ते का भुगतान किया जाए. नियम के मुताबिक, दोनों पक्षों को अदालत में आय और संपत्ति का खुलासा करना चाहिए, किन्तु कई मामलों में हलफनामा दायर करके छुट्टी मिल जाती थी. अब शीर्ष अदालत की नई गाइडलाइन के बाद गुजारा भत्ता का दावा करने वाले पक्ष को काफी आसानी होगी. इस फैसले से उस पति या पत्नी को राहत मिलेगी, जिसने गुजारा भत्ता का दावा किया है, किन्तु समय पर अगर गुजारा भत्ता नहीं दिया तो जेल भी हो सकती है.
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