देहरादून: उत्तराखंड के प्राचीन शहर जोशीमठ को भूस्खलन-धँसाव क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। हर गुजरते दिन के साथ यहाँ जमीन धंसती जा रही है। लगातार घरों में दरारें बढ़ती जा रहीं हैं। ऐसे में असुरक्षित घरों और इमारतों को ढहा देने का फैसला किया गया है। इस बीच शीर्ष अदालत ने जोशीमठ संकट पर फ़ौरन सुनवाई से साफ़ इनकार कर दिया है।
Supreme Court declines urgent hearing of Joshimath sinking incidents on #Joshimath and posts the matter for hearing on January 16.
— ANI (@ANI) January 10, 2023
Supreme Court says everything which is important need not come to the apex court. There are democratically elected institutions working on it. pic.twitter.com/a2E1F2OK3d
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने जोशीमठ को बचाने के लिए एक जनहित याचिका दाखिल की थी। इसमें जोशीमठ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और प्रभावितों को आर्थिक मदद प्रदान करने का अनुरोध किया गया था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि हर चीज को अदालत में लाने की जरूरत नहीं है। इसे देखने के लिए लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थाएँ मौजूद हैं।
वहीं, दूसरी तरफ दरकते जोशीमठ में मंगलवार (10 जनवरी) से असुरक्षित इमारतों को गिराने का कार्य आरंभ कर दिया गया है। सूबे के मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधु ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जोशीमठ में बढ़ रहे खतरे के मद्देनज़र घरों, होटलों और सरकारी इमारतों को गिराने का कार्य आरंभ किया गया है। यह कार्य केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) रुड़की के विशेषज्ञों की निगरानी में हो रहा है। NDRF की एक टीम भी मौके पर मौजूद है।
बता दें कि, असुरक्षित इमारतों को ढहाने को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव डॉ.रंजीत सिन्हा ने कहा है कि CBRI की टीम सोमवार को जोशीमठ पहुँची थी। टीम ने मलारी इन और माउंट व्यू होटल का निरिक्षण किया है। इन दोनों होटलों को सबसे पहले ढहाया जाएगा। किसी भी घर या होटल को गिराने के लिए विस्फोटक का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, क्योंकि इससे भूस्खलन और धँसाव होने का खतरा बढ़ जाएगा। ऐसे में पूरा काम मशीनों और मजदूरों की मदद से ही किया जाएगा। इसके लिए, 60 मजदूर, JCB, एक बड़ी क्रेन और दो ट्रक लगाए गए हैं।
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