नई दिल्ली: राफेल लड़ाकू विमान सौदे मामले में अदालत ने मोदी सरकार को बड़ी राहत दी है, डील पर उठाए जा रहे प्रश्नों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सौदे पर कोई संदेह नहीं है. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान शीर्ष न्यायालय ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि सौदे की खरीद प्रक्रिया में कोई कमी नहीं है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि कीमत देखना अदालत का काम नहीं है. इसी के साथ, सौदे को लेकर दायर की गई सभी याचिकाओं को अदालत ने खारिज कर दिया है.
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याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार पर सौदे में अनियमितता का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट से सीबीआइ को जांच के लिए एफआइआर दर्ज करने के निर्देश देने की मांग की है. सरकार ने भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए लगभग 58,000 करोड़ रुपये में 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए फ्रांस के साथ डील की थी. दो इंजन वाले इस लड़ाकू विमान का निर्माण फ्रांस की सरकारी कंपनी दसाल्ट एविशन द्वारा किया जाता है.
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केंद्र सरकार ने राफेल सौदे का बचाव करते हुए कीमत को सार्वजनिक करने की मांग की खिलाफत की थी. केंद्र की तरफ से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा था कि 2016 के एक्सचेंज रेट के अनुसार हथियारों के बिना राफेल जेट की कीमत 670 करोड़ रुपये है, लेकिन, पूरी तरह से हथियारों से लैस राफेल विमान की कीमत को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे देश के दुश्मन लाभ उठा सकते हैं.
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