हमारे खून में है, कानून तोड़ना और न्यायालय की अवमानना करना
हमारे खून में है, कानून तोड़ना और न्यायालय की अवमानना करना
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नई दिल्ली। अब कानून तोड़ना और न्यायालय की अवमानना करना हमारी संस्कृति में शामिल होता जा रहा है साथ ही यह हमारे रक्त में आ गया है। यह बात सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने कही। वे कानूनी मसलों को लेकर सलाह दे रहे थे। इसी दौरान उन्होंने कहा। उन्होंने कहा कि लोग कानून तोड़ दें और इसे सहा जाए ऐसा नहीं हो सकता है। यदि आप प्रगति करने वाला देश हैं तो फिर आपको कानून का पालन करना होगा।

यदि नियमों का पालन नहीं किया गया तो फिर आपको सजा मिलेगी। गौरतलब है कि न्यायमूर्ति खेहर का कार्यकाल 24 अगस्त तक का है। उन्होंने अपने कार्यकाल के बाद न्यायमूर्ति दीपक मिश्र के नाम का प्रस्ताव सामने रखा है। न्यायमूर्ति खेहर की टिप्पणी को कुछ मामलों से जोड़कर देखा जा रहा है दरअसल दिल्ली में एक ऐसा मामला सामने आया था जिसमें रेसिडेंशियल प्लेस का उपयोग कमर्शियल तरह से किया जा रहा था।

जानकारी सामने आई है कि दिल्ली के लाजपत नगर के एक संस्थान के निदेशक दिनेश खोसला द्वारा घर के भवन का उपयोग व्यावसायिक तरह से किया जा रहा था। ऐसे में इस पर कार्रवाई की बात कही गई। न्यायमूर्ति की टिप्पणी को उद्योगपति विजय माल्या के विदेश चले जाने को लेकर भी देखा जा रहा है। गौरतलब है कि किंगफिशर एयरवेज के प्रमुख विजय माल्या बैंक के करीब 9 हजार करोड़ रूपए का लोन दिए बिना ही विदेश चले गए। उन्होंने कहा था कि वे यूके में सुरक्षित  महसूस करते हैं।

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