नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय में आज यानी शुक्रवार (18 नवंबर) को एक मामले की सुनवाई के दौरान अजीबोगरीब वाकया हुआ। सुप्रीम कोर्ट में एक मामले में पक्षकार खुद ही जिरह करने लगा, मगर उसके हिंदी में बात करने पर जजों ने आपत्ति जाहिर की। न्यायमूर्तियों ने कहा कि इस कोर्ट की भाषा अंग्रेजी है। हम नहीं समझ पा रहे हैं कि आप क्या कह रहे हैं। वहीं, फरियादी व्यक्ति हाथ जोड़कर हिंदी में बात करता रहा और अपनी बात के समर्थन में कुछ कागज़ात भी पेश किए। इस पर न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय ने कहा कि हम हिंदी नहीं समझते हैं। दोनों जजों ने कहा कि, 'हम नहीं समझ सकते कि आप क्या कह रहे हैं। इस कोर्ट की भाषा अंग्रेजी है।'
रिपोर्ट के अनुसार, जजों के हिंदी न समझने की बात कहने के बाद भी फरियादी व्यक्ति लगातार हिंदी में ही अपना पक्ष रखता रहा। इस दौरान एक वकील जो अपने मामले के लिए प्रतीक्षा कर रहा था, वह उस शख्स के पास पहुंचा और वकील ने पूरी बात को अनुवाद करके जजों के सामने रखा। रिपोर्ट के अनुसार, मौके पर मौजूद अडिशनल सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान भी हिंदी में पक्ष रख रहे व्यक्ति के पास पहुंचीं और उसकी सहायता की। उससे कुछ बाद करने के बाद माधवी ने कोर्ट को बताया कि वह वकील चाहता है। इसके बाद कोर्ट ने एक वकील को इशारा किया, जिसने उस शख्स की पूरी बात का अनुवाद किया और न्यायमूर्तियों के सामने रखा।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील से कहा कि क्या आप इस मामले में इनकी (फरियादी की) कुछ सहायता कर सकते हैं। इस पर वकील ने कहा कि जी जरूर, मैं इनकी मदद करूंगा। कोर्ट ने मामले की सुनवाई को 4 दिसंबर तक के लिए टाल दिया है। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने वकील से कहा है कि तब तक वह मामले से संबंधित सभी तथ्यों को समझ लें। कोर्ट ने कहा कि यह थोड़ा जटिल मामला है। आप अपना वक़्त लीजिए और इसके बारे में पूरा अध्ययन करिए। फिलहाल, हम 4 दिसंबर तक के लिए मामले को स्थगित करते हैं।
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