नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनावाई करते हुए केरल हाईकोर्ट को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि उक्त हाईकोर्ट के जज भी भारत का हिस्सा हैं। दरअसल शीर्ष कोर्ट केरल के चर्चित एर्नाकुलम चर्च मामले में सुनवाई कर रही थी। केरल हाईकोर्ट ने इस मामले में शीर्ष अदालत के आदेश को बदल दिया था। जिसपर शीर्ष कोर्ट ने इसे न्यायिक अनुशासनहीनता की पराकाष्ठा बताया।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा सुनवाई के दौरान इतने नाराज हुए कि उन्होंने आदेश पारित करने वाले हाईकोर्ट के जज का नाम लेने से भी गुरेज नहीं किया। जस्टिस मिश्रा ने कहा, यह बेहद आपत्तिजनक आदेश है। कौन है यह जज? अदालत ने उनका नाम जोर से बोला जाए ताकि सभी को पता चल सके कि वह कैसे जज हैं। जस्टिस मिश्रा ने यह टिप्पणी सेंट मेरी ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च के प्रतिनिधि फादर इसेक माटेमल्ल कोर इपिसकोपा की याचिका पर सुनवाई के दौरान की।
उन्होंने 8 मार्च को केरल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने जेकोबाइट गुट को चर्च के अंदर प्रार्थना करने की अनुमति दी थी। याचिका में उन्होंने कहा था कि चर्च में समानांतर सेवा की अनुमति नहीं दी जा सकती। जेकोबाइट गुट या मलंकारा चर्च दिशा निर्देशों के तहत नियुक्त न हुए पादरी को चर्च में किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधियों को अंजाम देने से रोका जाना चाहिए। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हाईकोर्ट के जज को हमारे आदेश से छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है। इसके साथ ही पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट केरल सरकार पर भी सख्त टिप्पणी कर चुका है। कोर्ट ने कहा कि केरल हमारे आदेश न मानने के लिए जाना जाता है।
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