नई दिल्ली: कट्टरपंथी संगठन, स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) पर प्रतिबंध की मियाद बढ़ाने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता से कहा है कि जवाब दायर करने में अब और देरी नहीं होनी चाहिए। अदालत ने केंद्र सरकार को जवाब देने का अंतिम मौका देते हुए अगली सुनवाई 1 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। बता दें कि, 2019 में केंद्र ने कट्टपंथी इस्लामी संगठन SIMI पर अगले पांच साल के लिए प्रतिबंध बढ़ा दिया था। केंद्र के इस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई है।
कई आतंकी वारदातों में लिप्त होने के चलते SIMI पर लगे बैन की अवधि 2024 तक बढ़ा दी गई है। 2015 में केंद्र सरकार ने SIMI पर बैन लगाकर इस संगठन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी। फिर 2019 में प्रतिबंध अगले पांच वर्षों के लिए और बढ़ा दिया गया। SIMI पर मालेगांव बम विस्फोट, मुंबई बम विस्फोट, दिल्ली सीरियल विस्फोट सहित कई मामलों में शामिल रहने का इल्जाम है। हाल ही में कई हिंसक घटनाओं में भी SIMI के स्लीपर सेल्स के सक्रीय होने के सबूत मिले हैं।
बता दें कि कट्टरपंथी मुस्लिम छात्रों के संगठन SIMI का गठन 1977 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में किया गया था। इसके संस्थापक और अध्यक्ष मोहम्मद अहमदुल्ला सिद्दिकी यूएस की वेस्टर्न इलिनोइस यूनिवर्सिटी में जर्नलिज्म और पब्लिक रिलेशंस के प्रोफेसर रह चुके हैं। हालांकि सिद्दिकी का कहना है कि उनका SIMI से अब कोई वास्ता नहीं है, क्योंकि संगठन पर अब कट्टरपंथियों का कब्जा हो चुका है।
बता दें कि SIMI का मकसद भी PFI की तरह ही भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र बनाना है। अमेरिका में 9/11 के हमले के बाद SIMI पर 2001 में पोटा के तहत बैन लगाया गया था। हालांकि कांग्रेस सरकार ने पोटा को खत्म कर दिया था, मगर SIMI पर पाबंदी बरकरार है। पुलिस और सुरक्षाबलों की कार्रवाई में SIMI के कई आतंकी भी मारे गए थे, जिनमे से अधिकतर मध्य प्रदेश के खंडवा के निवासी थे। इन आतंकियों के जनाजे में भी बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हुए थे।
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