नई दिल्ली : दहेज़ प्रताड़ना पर रोक लगाने के लिए अच्छे उद्देश्य से कानून बनाया गया था.लेकिन उसके दुरूपयोग की शिकायतें बढ़ने पर अब सुप्रीम कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना निरोधक कानून की धारा 498 ए के लिए व्यापक दिशा निर्देश जारी किये हैं.अब दहेज प्रताड़ना के मामलों में सीधे पुलिस कार्रवाई नहीं कर सकेगी . अब ऐसे मामले पहले एक मोहल्ला कमेटी (सिविल सोसायटी) के पास जाएंगे, वह संबंधित मामले में अपनी रिपोर्ट देगी. कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही पुलिस तय करेगी कि कार्रवाई की जाए या नहीं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी इन निर्देशों के लागू होने के छह माह बाद 31 मार्च 2018 को विधिक सेवा प्राधिकरण कानून में बदलाव करने के लिए सुझाव देगा. मामले की सुनवाई अप्रैल 2018 में होगी.अदालत ने कहा कि यह चिंता की बात है कि विवाहिताओं द्वारा धारा 498ए के तहत बड़ी संख्या में मामले दर्ज कराए जा रहे हैं. कोर्ट का मत था कि इस मामले में सिविल सोसाइटी को शामिल किया जाना चाहिए , ताकि न्याय के लिए प्रशासन को कुछ मदद मिल सके.सुप्रीम कोर्ट ने दहेज़ कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के मामले में पत्नी पक्ष ने धारा 498ए के तहत एफआईआर में पति राजेश शर्मा के सभी परिजनों भाई-बहन, माता-पिता का नाम लिखवा कर आरोप लगाया था कि उन्होंने तीन लाख रुपये और कार की मांग करते हुए उसे प्रताड़ित किया. इस मामले में जारी समन को रद्द करने के लिए पति पक्ष सुप्रीम कोर्ट की शरण में गया. कोर्ट ने इस मामले में एएसजी एएस नाडकर्णी और वी. गिरी को लेकर कमेटी बनाई थी, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर ये निर्देश जारी किए गए. सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि उसके ये निर्देश उन मामलों में लागू नहीं होंगे, जहां पीड़ित के शरीर पर चोटों के निशान मिले हों या उसकी मृत्यु हो गई हो.
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