'10 अगस्त तक अपना ऑफिस खाली करो और जमीन का कब्जा सौंपो..', AAP को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया ये आदेश ?

'10 अगस्त तक अपना ऑफिस खाली करो और जमीन का कब्जा सौंपो..', AAP को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया ये आदेश ?
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार (10 जून) को आम आदमी पार्टी (AAP) को अपना राष्ट्रीय मुख्यालय नई दिल्ली के राउज एवेन्यू स्थित परिसर से स्थानांतरित करने के लिए 10 अगस्त, 2024 तक की मोहलत दे दी। इससे पहले 4 मार्च को कोर्ट ने AAP को परिसर खाली करने के लिए 15 जून तक की समयसीमा दी थी। आज जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की अवकाश पीठ ने AAP द्वारा दायर एक आवेदन को स्वीकार कर लिया, जिसमें 10 अगस्त तक समय बढ़ाने की मांग की गई थी।

अदालत ने स्पष्ट किया कि यह विस्तार "अंतिम अवसर" के रूप में दिया गया है और यह इस बात पर निर्भर करेगा कि पार्टी सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को यह वचन दे कि वे 10 अगस्त, 2024 को या उससे पहले संपत्ति (प्लॉट नंबर 306, राउज़ एवेन्यू, दिल्ली) का खाली और शांतिपूर्ण कब्ज़ा सौंप देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि, "विचाराधीन परिसर वर्ष 2020 में पहले ही दिल्ली उच्च न्यायालय को आवंटित किया जा चुका है और आवेदक के कब्जे की निरंतरता के कारण, दिल्ली उच्च न्यायालय का विस्तार न केवल अवरुद्ध हो रहा है, बल्कि उसका खर्च भी हर साल बढ़ रहा है।"

दिल्ली हाई कोर्ट के लिए बने प्लॉट पर AAP के कब्जे का मुद्दा पहली बार इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के ध्यान में लाया गया था, जब कोर्ट न्यायिक बुनियादी ढांचे से जुड़े मामले पर विचार कर रहा था। दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से पेश हुए अधिवक्ता के परमेश्वर ने CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ को सूचित किया था कि एक "राजनीतिक दल" प्लॉट पर कब्जा कर रहा है, जिसकी वजह से न्यायपालिका को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। न्यायालय द्वारा इस तथ्य पर आश्चर्य व्यक्त करने के बाद, AAP ने एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि उक्त प्लॉट उसे 2015 में आवंटित किया गया था और इसे न्यायपालिका के लिए 2020 में ही निर्धारित किया गया था। 

अरविंद केजरीवाल की पार्टी, AAP ने यह भी तर्क दिया कि चूंकि अब उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है, इसलिए वह अन्य राष्ट्रीय दलों के समान मध्य दिल्ली में प्लॉट पाने की हकदार है। 4 मार्च को कोर्ट ने कहा कि 2017 के बाद से AAP को ज़मीन पर कब्ज़ा करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है, जब दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग ने उसे बताया था कि उपराज्यपाल ने ज़मीन का आवंटन रद्द कर दिया है। हालाँकि, आसन्न लोकसभा चुनावों को देखते हुए कोर्ट ने प्लॉट खाली करने के लिए 15 जून तक का समय दिया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ा दिया है।

आज सोमवार को, दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से पेश परमेश्वर ने अवकाश पीठ को सूचित किया कि भवन की लागत हर साल 30-40% बढ़ रही है, क्योंकि दिल्ली उच्च न्यायालय भूमि का कब्ज़ा वापस लेने में सक्षम नहीं है। उन्होंने कहा कि विस्तार अंतिम अवसर होना चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि, "हमारे पास 90 न्यायालय कक्षों की कमी है। नए न्यायिक अधिकारियों का प्रशिक्षण सितंबर में समाप्त हो रहा है। हम बहुत मुश्किल में हैं। अब हम न्यायिक अधिकारियों को रखने और न्यायालय कक्ष चलाने के लिए भवन किराए पर लेने की स्थिति में हैं। हम (AAP और केंद्र के बीच) झगड़े के कारण पीड़ित नहीं होना चाहते। मुख्य विवाद यह है कि वे (AAP) मध्य दिल्ली में कहीं जगह चाहते हैं, लेकिन इसमें हम क्या करें।''

वहीं, AAP की तरफ से कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। इन्ही सिंघवी ने सीएम अरविंद केजरीवाल को भी शराब घोटाले में चुनाव प्रचार करने के लिए जमानत दिलवाई थी। हालाँकि, इस मामले में सिंघवी की दलीलें काम नहीं आई और सुप्रीम कोर्ट ने AAP को 10 अगस्त तक अपना दफ्तर खाली करने और हाई कोर्ट को जमीन का कब्ज़ा सौंपने का अंतिम आदेश दे दिया है।  

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