नई दिल्ली: आयुष डॉक्टर कोरोना मरीजों का उपचार कर सकते हैं या नहीं? इस पर देश की सबसे बड़ी अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. अदालत ने मंगलवार को कहा कि प्रशिक्षित आयुष और होम्योपैथ डॉक्टर पारंपरिक इलाज में एड-ऑन ड्रग्स के रूप में सरकार द्वारा अनुमोदित टैबलेट, मिश्रण का इस्तेमाल करके कोरोना मरीजों का उपचार कर सकते हैं, किन्तु इसका प्रचार नहीं करना होगा.
इससे पहले केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में कहा था कि आयुष और होम्योपैथ डॉक्टर कोरोना का उपचार नहीं कर सकते हैं. हर किसी को दवाएं लिखने की अनुमति नहीं दी जा सकती. ये डॉक्टर केवल कोरोना के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार से स्वीकृत मिश्रण और गोलियां लिख सकते हैं. आयुष मंत्रालय ने शीर्ष अदालत में दिए अपने हलफनामे में कहा था कि आयुष और होम्योपैथ डॉक्टर कोरोना के उपचार का दावा करने वाला कोई विज्ञापन भी नहीं कर सकते हैं. दरअसल, आयुष मंत्रालय ने 6 मार्च को एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा था कि कोरोना के उपचार में राज्य सरकार अन्य पद्धतियों के साथ-साथ होम्योपैथिक को भी शामिल करने के लिए कदम उठाएं.
केरल के एक वकील ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करते हुए कहा था कि आयुष मंत्रालय की इस अधिसूचना को लागू करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिए जाएं. उच्च न्यायालय ने कहा कि आयुष डॉक्टर दवा तो लिख सकते हैं, किन्तु कोरोना के इलाज के रूप में नहीं बल्कि इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में ही लिख सकते हैं, जिसके बाद ये मामला शीर्ष अदालत में पहुंचा था.
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