नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी अदालत ने जाने-माने वकील प्रशांत भूषण को अवमानना मामले में दोषी पाए जाने के बाद एक रुपये के जुर्माने की सज़ा सुना दी है. जुर्माना ना दिए जाने की स्थिति में उन पर उन्हें तीन महीने कैद की सजा हो सकती है और तीन वर्ष तक के लिए क़ानून की प्रैक्टिस पर भी रोक लग सकती है.
सरवोच्च न्यायालय ने सोमवार को अपना आदेश सुनाते हुए कहा कि अदालत का फ़ैसला किसी प्रकाशन या मीडिया में आए विचारों से प्रभावित नहीं हो सकता है. कोर्ट ने कहा है कि अदालत के विचार किए जाने से पहले ही प्रशांत भूषण के मीडिया को दिए बयान कार्यवाही को प्रभावित करने वाले थे. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के दो ट्वीट्स को कोर्ट की अवमानना के लिए ज़िम्मेदार ठहराया था. अदालत ने अपने आदेश में ये भी कहा कि जनवरी 2018 में की गई शीर्ष अदालत के चार न्यायाधीशों की प्रेस वार्ता भी गलत थी.
न्यायाधीशों को प्रेस वार्ता करने की अपेक्षा नहीं होती है. शीर्ष अदालत ने कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी है, किन्तु दूसरों के अधिकारों का भी सम्मान किया जाना चाहिए. अदालत ने भूषण के ट्वीट्स का स्वत: संज्ञान लेते हुए उन्हें भारत के मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे और शीर्ष अदालत की आलोचना करने का दोषी क़रार देने के बाद उनकी सज़ा पर फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था.
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