नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें उसने उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को राम भरोसे बताते हुए सरकार को युद्ध स्तर पर मेडिकल फैसिलिटी मुहैया कराने का आदेश दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय को आदेश देते समय उसके अमल की संभावनाओं के बारे में भी सोचना चाहिए था।
शीर्ष अदालत की वैकेशन बेंच के न्यायाधीश विनीत सरन और बीआर गवई ने कहा कि उच्च न्यायालय को ऐसे आदेश नहीं देने चाहिए, जिन पर अमल करना कठिन हो और जिनका राष्ट्रीय/अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव हो। सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा। मेहता ने उच्च न्यायालय के आदेश को अच्छी नीयत से दिया गया आदेश बताया। साथ ही कहा कि इसे लागू कर पाना बेहद कठिन है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इलाबाद उच्च न्यायालय के राज्य के सभी नर्सिंग होम्स में ऑक्सीजन बेड्स अनिवार्य करने के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि अदालतों को कोई भी फैसला सुनाते समय उसकी व्यवहारिकता पर भी विचार करना चाहिए। ऐसे आदेश नहीं देने चाहिए, जिन पर अमल करना कठिन हो। दरअसल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि राज्य में 97,000 गाँव हैं। ऐसे में आदेश को लागू करवा पाना संभव नहीं है।
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