नई दिल्ली : देश की शीर्ष अदालत ने दोषी ठहराए गए लोगों द्वारा चुनाव में प्रत्याशी तय किए जाने पर सवाल उठाया है.अदालत का यह कहना है कि राजनीति में प्रतिबंधित नेताओं द्वारा उम्मीदवारों के नाम तय किये जाने से सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी कैसे सुनिश्चित होगी.
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने यह बात दोषी व्यक्तियों को राजनीतिक दल गठित करने और उसके पद पर बने रहने पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कही.पीठ ने सवाल उठाया कि एक व्यक्ति जिसे दोषी ठहराया जाकर उसके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है, तो वह चुनाव के लिए प्रत्याशी का फैसला कैसे ले सकता है.इससे लोकतंत्र की शुचिता कैसे बनी रहेगी ?
आपको बता दें कि सर्वोच्च अदालत ने सवाल उठाए हुए कहा, कि 'वे चुनाव नहीं लड़ सकते क्योंकि संवैधानिक रूप से प्रतिबंधित हैं. क्या वे पार्टी पद पर बने रह सकते हैं और वे राजनीतिक दल गठित कर सकते हैं. निश्चित रूप से वे दोषी व्यक्तियों का एक संगठन बना सकते हैं, लेकिन क्या वे राजनीतिक दल का गठन कर सकते हैं. इस सवाल पर कोर्ट ने सभी पक्षों से 3 मई को अपना लिखित जवाब माँगा है. स्मरण रहे कि सरकार इस मामले ने पहले ही हाथ खड़े कर चुकी है.
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