नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी अदालत ने 1 अप्रैल से जारी होने वाले चुनावी बॉन्ड्स (Electoral Bonds) पर रोक लगाने से साफ़ इनकार कर दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि यह योजना वर्ष 2018 में लागू हुई है और फिलहाल चल रही है. इसके साथ ही इसकी सुरक्षा के लिए भी तमाम उपाय किये गये हैं.
इसके साथ ही अदालत ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले, चुनावी बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगाने का आग्रह करने वाली याचिका खारिज कर दी. मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत में निर्वाचन आयोग ने कहा कि वह चुनावी बॉन्ड योजना का समर्थन करते हैं, क्योंकि यदि ऐसा नहीं होगा तो सियासी दलों को चंदा नकद में मिलेगा. हालांकि, चुनाव आयोग ने कहा कि वह इस प्रक्रिया में पारदर्शिता चाहता है.
इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि हमेशा यह घूस केवल सत्ताधारी दल को ही नहीं मिलता बल्कि उसको भी मिलता है, जिसके अगली बार सरकार में आने के आसार अधिक रहते हैं. प्रशांत भूषण ने कहा कि RBI ने भी इस पर आपत्ति जाहिर की है. RBI का कहना है कि यह बॉन्ड्स एक आर्थिक घोटाले का औजार या रास्ता है. हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने हर दलील को दरकिनार करते हुए चुनावी बांड्स पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है .
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