नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में इस वर्ष विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं और उससे पहले सूबे में कई बार हिंसा देखने को मिली है. इसी से संबंधित एक याचिका शीर्ष अदालत में दाखिल की गई, जिसमें कहा गया कि सियासी हिंसा को देखते हुए विपक्षी दलों की सुरक्षा को बढ़ाया जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुद्दे को उचित फोरम में उठाएं और याचिका को ठुकरा दिया गया.
याचिकाकर्ताओं की तरफ से अपील की गई कि बंगाल में लगातार सियासी हिंसा बढ़ रही है, मानवाधिकारों का हनन हो रहा है. इसके साथ ही बांग्लादेशी, रोहिंग्याओं को फर्जी तरीके से मतदाता सूची में शामिल किया जा रहा है, ताकि वोटों को बटोरा जा सके. याचिकाकर्ता ने अपनी अपील में बीते कुछ समय में भाजपा नेताओं पर हुए हमले, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए हमले का भी उल्लेख किया. सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि ये कैसी अपील है, याचिकाकर्ता कहां से हैं.
जिस पर बताया गया कि याचिकाकर्ता दिल्ली के ही रहने वाले हैं. ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हम याचिका को खारिज कर रहे हैं, जो उचित फोरम हो वहां इस मुद्दे को उठाएं. बता दें कि पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के समय से ही सियासी हिंसा अपने चरम पर है. जहां भाजपा और TMC दोनों के ही कार्यकर्ताओं के मारे जाने की बात सामने आ रही है. साथ ही कई रैलियों, रोड शो में हमले और पत्थरबाजी जैसी वारदातें भी देखी गई हैं.
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