नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को भाजपा सांसद गौतम गंभीर की उस याचिका को ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने कोरोना की दवाओं के अवैध भंडारण और वितरण से संबंधित एक मामले में उच्च न्यायालय के द्वारा दिए गए जांच के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका को ख़ारिज करते हुए गंभीर को जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि जब कोरोना महामारी के दौरान लोग दवाओं के लिए तरस रहे थे, वहीं आप जमाखोरी कर रहे थे।
सोमवार को शीर्ष अदालत में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि हमने अख़बार और मीडिया रिपोर्ट देखी है। जब कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लोग कोरोना के दवाओं को खरीदने के लिए मारामारी कर रहे थे, तो कुछ लोग ने इन दवाओं को बांटना आरंभ कर दिया। ऐसा नहीं किया जाना चाहिए।
गौतम गंभीर की ओर से पेश हुए वकील कैलाश वासुदेव ने जब बेंच के सामने यह दलील दी है कि याचिकाकर्ता लोगों की सहायता कर रहे थे तो जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि कोरोना के दवाओं को ऐसे नहीं बांटा जा सकता है। सबने देखा कि लोग इन दवाओं के लिए किस प्रकार तरस रहे थे। ऐसा नहीं किया जा सकता है। जिसके बाद शीर्ष अदालत की पीठ ने गौतम गंभीर की याचिका को ख़ारिज कर दिया।
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