नई दिल्ली: राम नगरी अयोध्या में पांच एकड़ भूमि पर बनने वाली मस्जिद को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत में शुक्रवार को एक याचिका पर सुनवाई की गई. कोर्ट में अपील की गई कि मस्जिद का निर्माण करने वाले ‘इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन’ ट्रस्ट में सरकारी प्रतिनिधियों को शामिल किया जाना चाहिए. हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया है.
याचिकाकर्ता की मांग थी कि जिस प्रकार राम जन्मभूमि ट्रस्ट में भी सरकार की हिस्सेदारी है, उसी प्रकार मस्जिद से संबंधित ट्रस्ट में भी ऐसा ही होना चाहिए. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को मानने से इनकार कर दिया. आपको बता दें कि राम जन्मभूमि के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में ही मस्जिद के लिए पांच एकड़ भूमि देने की बात कही थी. अयोध्या के धन्नीपुर में मस्जिद का निर्माण किया जाना है.
मस्जिद का निर्माण इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के तहत किया जा रहा है. ट्रस्ट ने बीते दिनों अपनी पहली मीटिंग होने के बाद जानकारी दी थी कि यहां पर मस्जिद, इंडो इस्लामिक रिसर्च सेंटर, लाइब्रेरी और अस्पताल बनवाया जाएगा. इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट में कुल 15 लोग शामिल होंगे, जिसमें कुछ नामित भी किए जाएंगे. ट्रस्ट ने स्पष्ट किया था कि मस्जिद का नाम बाबर के नाम पर नहीं होगा.
निफ्टी ने दर्ज किया पांचवां सीधा साप्ताहिक लाभ
तटीय गुजरात पावर ने बैंक को चुकाए रु.1550-करोड़ रूपए का ऋण
सकारात्मक आधुनिक वैक्सीन परिणामों के बाद विमानन स्टॉक्स में आई तेजी