नई दिल्ली: हज यात्रा को लेकर इस साल सरकार की तरफ से तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। बीते दो वर्षों से कोरोना महामारी के चलते रुकी हज यात्रा के लिए इस साल सऊदी अरब की तरफ से प्रतिबंधों में छूट दी गई है। इस बीच प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। हालांकि, शीर्ष अदालत ने इन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। इन याचिकाओं में निजी टूर ऑपरेटर्स ने सऊदी अरब की यात्रा करने वाले हज तीर्थयात्रियों को उनकी तरफ से दी जाने वाली हज और उमराह सेवाओं के लिए माल और सेवा कर यानि GST से रियायत देने की मांग की थी।
टूर ऑपरेटर्स ने हज यात्रियों पर GST लगाए जाने के फैसले को चुनौती दी थी, जो पंजीकृत निजी टूर ऑपरेटरों की तरफ से दी जाने वाली सेवाओं का इस आधार पर फायदा उठाते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 245 के मुताबिक, अतिरिक्त क्षेत्रीय गतिविधियों पर कोई कर कानून लागू नहीं हो सकता। उनकी दलील थी कि भारत के बाहर उपभोग की जाने वाली सेवाओं पर GST नहीं लगाया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी तमाम दलीलों को नामंजूर करते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया।
ऑपरेटर्स ने यह भी दलील दी थी कि ये देनदारी भेदभावपूर्ण है क्योंकि यह कुछ हाजियों को छूट देती है, जो भारत की हज समिति के जरिए तीर्थ यात्रा करते हैं। बता दें कि तीर्थयात्रियों की तरफ से हवाई यात्रा पर 5 फीसदी की GST शुल्क (इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ) लागू होता है, जो द्विपक्षीय व्यवस्था के तहत केंद्र सरकार की तरफ से दी गई धार्मिक तीर्थयात्रा के लिए गैर-अनुसूचित या चार्टर संचालन की सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, यदि किसी धार्मिक तीर्थयात्रा के संबंध में किसी निर्दिष्ट संगठन की सेवाओं को विदेश मंत्रालय की तरफ से द्विपक्षीय व्यवस्था के तहत सुविधा प्रदान की जाती है, तो दर शून्य होगी।
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