नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका को ठुकरा दिया है, जिसमें राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ CBI द्वारा दर्ज की गई FIR से पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण, तैनाती और एक पुलिस अधिकारी की बहाली से संबंधित दो पैराग्राफ हटाने का आग्रह किया गया था। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने कहा कि वह बंबई हाई कोर्ट के 22 जुलाई के आदेश में दखल नहीं करना चाहती है। इसके साथ ही अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किन पहलुओं पर जांच होगी, यह तय कर वह केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से जांच कराने के संवैधानिक अदालत के आदेश को कमतर नहीं कर सकती। अदालत ने कहा कि, CBI को आरोपों के सभी पहलुओं की तफ्तीश करनी है और हम उन्हें सीमित नहीं कर सकते। यह संवैधानिक अदालत की ताकतों को नकारने जैसा है।' बेंच ने कहा कि यह धारणा बनाई जा रही है कि राज्य पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर और तैनाती तथा अतिरिक्त पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे की बहाली के पहलुओं पर जांच की इजाजत न देकर पूर्व गृह मंत्री को बचाने का प्रयास कर रहा है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील राहुल चिटनिस ने कहा कि राज्य ने CBI जांच के लिए दी गई सहमति वापस ले ली है और CBI जांच के लिये हाई कोर्ट का निर्देश बार और रेस्तरां से रुपये लेने के आरोपों तक ही सीमित है न कि पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर और तैनाती तथा पुलिस बल में वाजे की बहाली से संबंधित है।
बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने 22 जुलाई को कहा था कि महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और उनके सहयोगियों की मिलीभगत का पता लगाने के लिए CBI मुंबई पुलिस बल में पुलिस कर्मियों के ट्रांसफर और तैनाती तथा वाजे की बहाली के मामले में गौर कर सकती है।
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