नई दिल्ली: निर्भया के दोषी पवन की याचिका शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी. पवन खुद को वारदात के वक़्त नाबालिग करार देने की मांग कर रहा था. इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील पर सर्वोच्च न्यायालय में पवन के वकील ने दलील दी है कि स्कूल प्रमाणपत्र में पवन की आयु वारदात के समय 18 साल से कम थी. स्कूल सर्टिफिकेट के अनुसार, पवन की जन्मतिथि 8 अक्टूबर 1996 है, पुलिस ने ये बात छिपाई है.
पवन के वकील एपी सिंह ने कहा कि अपराध के वक़्त पवन नाबालिग था, इसलिए उसे फांसी नहीं दी जा सकती है. उन्होंने अदालत के एक पूर्व फैसले का उदाहरण दिया. इस पर अदालत ने पवन के वकील से प्रश्न किया कि, 'आपने ये सर्टिफिकेट 2017 में प्राप्त किया. उससे पहले आपको अदालत से दोषी करार दिया गया था. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि 9 जुलाई 2018 को शीर्ष अदालत में पवन की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी हैं.'
सर्वोच्च न्यायालय ने पवन के वकील से कहा कि, 'पवन की आयु का मुद्दा उसकी पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान उठाया गया था और शीर्ष अदालत इस दलील को पुनर्विचार याचिका के निर्णय में पहले ही ख़ारिज कर चुका है, आप फिर वही मुद्दा उठा रहे हैं . इस तरह यदि बार बार अदालत में आते रहेंगे तो सुनवाई का कोई अंत नहीं होगा.'
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