नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों को एक बड़ी राहत दी है। दरअसल, शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें स्कूलों को अगले पांच सालों में चरणबद्ध तरीके से आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग (EWS) की सीटों को भरने के लिए कहा गया था। 1 सितंबर के उक्त आदेश को न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एएस ओका की बेंच ने जारी किया था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि, 'हम इस बात की तारीफ करने में असमर्थ हैं कि 26 मई, 2022 के आक्षेपित आदेश के खंड 4 पर काम कैसे किया जा सकता है, भले ही स्कूल पहले की अवधि के लिए डिफॉल्ट रूप से उसी प्रकार काम कर रहे हों, मगर अंतरिम आदेश द्वारा इस तरह से मुआवजा नहीं दिया जा सकता है।' उच्च न्यायालय ने NGO जस्टिस फॉर ऑल की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था, जिसमें प्राइवेट स्कूलों द्वारा बच्चों के नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 (RTI) प्रावधानों को लागू करने की मांग की गई थी।
26 मई के उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया था कि, 'सामान्य श्रेणी में प्रवेश लेने वाले छात्रों की वास्तविक तादाद की परवाह किए बगैर, राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि EWS श्रेणी के छात्रों की 25 फीसद सीटें प्रवेश स्तर (प्री-स्कूल/ नर्सरी/ एच प्री-प्राइमरी/ केजी और क्लास वन) पर घोषित स्वीकृत संख्या के आधार पर भरी जाएंगी।' जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी, अब शीर्ष अदालत द्वारा हाई कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया गया है।
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