नई दिल्ली: मसला यह है की एमबीबीएस व बीडीएस कोर्स में प्रवेश के लिए 1 मई को हुई नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट-1 (NEET -1) में शामिल हो चुके छात्र NEET -2 में नहीं बैठ सकेंगे. यह टेस्ट 24 जुलाई को होना है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उन छात्रों को नीट-2 में बैठने की अनुमति दे दी, जो NEET -1 में शामिल नहीं हो सके थे।
इसके अलावा भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए हाल में बहाल की गई NEET (नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एंट्रेंस टेस्ट) के अतिरिक्त प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
इस आदेश को सुनते ही सैकड़ों निजी कॉलेजों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विरोध करने लगे. उन्होंने तर्क दिया यह अपनी संस्था खोलने या उसके प्रशासन के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है, वकील राजीव धवन ने कहा कि यदि निजी कॉलेजों को नीट के लिए मजबूर किया जाता है तो उनके पास 50 प्रतिशत आरक्षण को हटाने के सिवा कोई और विकल्प नहीं बचेगा।
दोबारा परीक्षा की अनुमति नहीं देने के पीछे यह तर्क नीट- 1 में छह लाख से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया था. एमसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने सुझाव दिया कि छात्र एक परीक्षा में दो अवसरों का फायदा नहीं ले सकते।