उम्रकैद के आरोपी को न मिले कई सज़ाऐं

उम्रकैद के आरोपी को न मिले कई सज़ाऐं
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नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। इस दौरान न्यायालय ने कहा कि यदि किसी भी व्यक्ति को एक से अधिक धारा में उम्रकैद की सजा हो तो सभी सजाऐं एक साथ चलेंगी। इस मामले में न्यायालय ने स्पष्टतौर पर कहा कि आखिर यह नहीं हो सकता है। प्रत्येक अपराध हेतु आरोपी को अलग - अलग तरह से उम्रकैद दी जाए ऐसा न हो। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलीलों को स्वीकार कर लिया। इस मामले में कहा गया कि उम्रकैद की सजा का आदेश देना ठीक नहीं है।

इतना ही नहीं न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि उम्रकैद के ही साथ दूसरी धारा में सजा कम सुनाई गई तो फिर उनका साथ चलना आवश्यक नहीं है। इस मामले में न्यायालय ने कहा कि यदि न्यायाधीश चाहें तो वे कम सजा हेतु न्यायालय में रहने के बाद दोषी को उम्रकैद की सजा भी सुना सकते हैं। मिली जानकारी के अनुसार तमिलनाडु के मुथुरामलिंगम सहित परिवार के 16 सदस्यों का मामला सामने आया।

इस मामले में मुथुरामलिंगम की पत्नी व 7 रिश्तेदारों की हत्या को लेकर करीब 8 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। अर्थात इस मामले में हत्या हेतु उम्रकैद की 1 सजा, हत्या के प्रयास हेतु 10 वर्ष की सजा सुनाई गई थी। इस दौरान मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै बेंच ने सजा को अलग - अलग काटने का आदेश भी दिया था।

इस मामले में दोषी मुथुरामलिंगम व अन्य को 10 वर्ष के कारावास के बाद उम्रकैद की सजा भी सुनाई गई। इस निर्णय के ही साथ सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि उम्रकैद की सजा सुनाते समय न्यायाधीश जीवन भर जेल में रहने का आदेश भी दे सकते हैं। या फिर सजा को 14 वर्ष के लिए भी सुनाया जा सकता है।

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