नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जेल में लगभग एक साल पहले एक कुख्यात शूटर का एनकाउंटर कर दिया गया था. इस मामले की जांच और एनकाउंटर के बढ़ते मामलों पर रोक की अपील करते हुए शीर्ष अदालत में एक याचिका दाखिल की गई है. याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय से अपील की है कि सूबे की हिंसा की नीति पर रोक लगाई जानी चाहिए.
याचिकाकर्ता ने कहा कि चित्रकूट की जेल में हुए एनकाउंटर के मामले में जांच के दौरान तथ्यों पर गौर नहीं किया गया. इसकी स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वह यूपी के निवासी हैं और राज्य की एनकाउंटर की नीति को लेकर चिंतित हैं. इस दौरान उन्होंने अदालत से कहा कि चित्रकूट जेल में जो तीन लोगों की फायरिंग से मौत हुई थी, वह एक फर्जी एनकाउंटर था. इसलिए इस मामले में जांच के बाद ही पुलिस की कार्रवाई की वास्तविकता सामने आ सकेगी.
शीर्ष अदालत ने याचिका की सुनवाई करते हुए यूपी सरकार से कहा है कि इस एनकाउंटर में पोस्टमार्टम रिपोर्ट, बैलेस्टिक एक्सपर्ट, फोरेंसिक जांच की रिपोर्ट और कमीशन ऑफ इंक्वायरी की रिपोर्ट अदालत और याचिकाकर्ता को सौंपी जाए. इसके बाद न्यायालय ने याचिकाकर्ता से इन रिपोर्ट्स के मिलने के बाद अदालत में 2 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. इस पूरे मामले में अगली सुनवाई नवंबर के अंत में होगी. वहीं, इस पूरे मामले में यूपी सरकार के वकील मुकुल रोहतगी का कहना है कि चित्रकूट मामले में जांच हुई है. उन्होंने यह भी कहा कि जिनका एनकाउंटर चित्रकूट में हुआ था वह पेशेवर अपराधी थे और उन पर कई आपराधिक केस पहले से ही चल रहे थे.
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