नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी द्वारा देशभर की इमारतों और धार्मिक स्थानों पर से हरे रंग के झंडों को हटाने के लिए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी, इसके एवज़ में सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है. इस मामले की अध्यक्षता जस्टिस एके सिकरी कर रहे थे, उन्होंने दायर हुई याचिका की एक प्रति अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को देने के लिए कहा ताकि वे केंद्र की तरफ से जवाब पेश कर सकें.
दरसअल रिजवी ने अपनी याचिका में कहा है कि हरे कपड़े पर चांद तारा निशान वाले मुस्लिम लीग के इस झंडे का इस्लामी मान्यताओं से कोई लेना देना नहीं, न ही वे इस्लाम के अभिन्न अंग ही हैं, इसलिए इस झंडे को बैन कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान का झंडा है और भारत में इस तरह के झंडे पर प्रतिबन्ध होना ही चाहिए.
उन्होंने दलील दी है कि यह झंडा 1906 में बनी मुस्लिम लीग का था, जो 1946 में बंद हो गई, फिर बंटवारे के बाद यह झंडा पाकिस्तान चले गया, जिसके बाद से ये पाकिस्तान का राष्ट्रिय ध्वज हुआ. इसलिए पाकिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज को भारत देश की सरज़मीं पर फहराना देश की सम्प्रभुता, संविधान और स्वतंत्रता का उल्लंघन है. इसी याचिका को ध्यान में रखते हुए शीर्ष अदालत ने मोदी सरकार से जवाब माँगा है कि उनकी नज़रों में हरा झंडा इस्लाम का है या पाकिस्तान का? अब देखना ये है कि मोदी सरकार का क्या जवाब आता है और उस जवाब का आवाम पर क्या प्रभाव पड़ता है, क्योंकि अभी भी मुस्लिमों का एक बड़ा तबका हरे झंडे को इस्लाम से जोड़कर देखता है.
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