देश में कई जरुरी मुद्दे, समलैंगिक विवाह जैसे मुद्दों पर समय बर्बाद न करे सुप्रीम कोर्ट - राष्ट्रपति को जैन मुनि का पत्र

देश में कई जरुरी मुद्दे, समलैंगिक विवाह जैसे मुद्दों पर समय बर्बाद न करे सुप्रीम कोर्ट - राष्ट्रपति को जैन मुनि का पत्र
Share:

नई दिल्ली: समलैंगिक विवाह को मान्यता प्रदान करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में गर्मागर्म बहस चल रही है। वहीं, केंद्र सरकार और धर्मगुरु इसका विरोध कर रहे हैं। अब जैन समाज ने भी समलैंगिक विवाह का विरोध किया है। जैन आचार्य शिव मुनि ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखते हुए इस पर अपना विरोध जताया है। उन्होंने माँग की है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे वक़्त में जब भारत देश कई समस्याओं का सामना कर रहा है, ऐसे विषय (समलैंगिकता) पर चर्चा की जरूरत ही नहीं है। जैन मुनि ने गरीबी उन्मूलन, सभी तक शिक्षा की पहुँच, प्रदूषण मुक्त पर्यावरण और जनसंख्या नियंत्रण को मुख्य समस्या बताया है। 

 

आचार्य शिव मुनि ने कहा कि ऐसी समस्याओं पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई तत्परता नहीं दिखाई है। उन्होंने भारत को विभिन्न धर्मों, जातियों और उप-जातियों का देश बताते हुए लिखा कि शताब्दियों से जैविक पुरुष एवं जैविक महिला के बीच शादी की मान्यता रही है, ऐसे में विवाह की संस्था न सिर्फ 2 विषम लैंगिकों का मिलन है, बल्कि मानव उन्नति से भी जुड़ा हुआ है। उन्होंने प्राचीन परिभाषाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी धर्मों में विवाह की यही मान्यता रही है।

जैन मुनि ने शीर्ष अदालत के पहले के फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि समलैंगिकों के अधिकारों को पहले ही संरक्षित (धारा 377 हटाकर) किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि समलैंगिक विवाह का मामला मौलिक न होकर वैधानिक अधिकार का हो सकता है, मगर ये मौलिक  अधिकार नहीं है और संसद द्वारा कानून बना कर ही इसे संरक्षित किया जा सकता है। जैन मुनि ने इसे विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत डालने का विरोध करते हुए कहा कि ये महिला-पुरुष के लिए है, ऐसे में इसके प्रत्येक प्रावधान को नए स्वरूपों में परिभाषित करना पड़ेगा।

उन्होंने राष्ट्रपति को लिखे गए अपने पत्र में लिखा है कि, 'विवाह एक समाजिक/कानूनी संस्था है। अब न तो इसे नष्ट किया जा सकता है और न ही इसका नया स्वरूप गढ़ा जा सकता है। भारत में विवाह का सभ्यतागत महत्व रहा है और ये एक महान संस्था है जो वक़्त की कसौटी पर खरी उतरी है। आज़ाद भारत में इस पर पश्चिमी प्रथाएँ थोपने का कार्य किया जा रहा है। लंबित मामले पूरे करने की जगह काल्पनिक विषय पर सर्वोच्च न्यायालय का समय बर्बाद किया जा रहा है। ये अनुचित है।”

Video: हैदराबाद में बरसी आफत की बारिश, सड़कें बनी नदी, तैरते नज़र आए वाहन

उपराज्यपाल पर फिर भड़केंगे CM केजरीवाल ? LG ने मांग लिया है बंगले पर खर्च हुए 45 करोड़ का हिसाब!

माफिया मुख़्तार अंसारी को 10 साल की जेल, कृष्णानंद हत्याकांड में कोर्ट ने 16 साल बाद सुनाया फैसला

 

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -