नई दिल्ली: पुणे और नासिक में शराब की घर पहूंच सेवा के खिलाफ दाखिल याचिका पर शीर्ष अदालत ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. शीर्ष अदालत ने गुरुवार को एक सुनवाई में कहा कि शराब कोई जरुरी चीज नहीं है, इसलिए हमें इस पर कोई आदेश किसलिए देना चाहिए? महाराष्ट्र वाइन मर्चेंट्स एसोसिएशन की ओर से यह याचिका दाखिल की गई थी जिस पर अदालत ने फैसला देने से इनकार कर दिया है.
जुलाई महीने की शुरुआत में भी शीर्ष अदालत में एक ऐसी ही याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में लॉकडाउन के दौरान खोली गई शराब की दुकानों को फिर से बंद करने का आदेश दिए जाने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया कि दुकानों में शारीरिक दूरी जैसे नियम और बाकी मानदंडों का पालन नहीं किया जा रहा है, इसलिए शराब दुकानों को वापस बंद करने का आदेश दिया जाए. इस याचिका को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने सुनवाई करने से मना कर दिया था.
इससे पहले शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु उच्च न्यायालय के उस फैसले को पलट दिया था, जिसमें शराब की दुकानों को बंद करने का आदेश दिया गया था. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह तमिलनाडु सरकार पर निर्भर करता है कि राज्य में शराब की बिक्री कैसे करना है. शीर्ष अदालत ने कहा कि, शराब बिक्री का काम कैसे अमल में लाया जाएगा, यह अदालत निर्धारित नहीं कर सकती. यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है.
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