नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न को लेकर नाराजगी जाहिर की है. अदालत ने कहा है कि (POSH) अधिनियम 2013 के लागू होने के 10 वर्षों बाद भी इसके प्रावधानों का खराब तरीके से कार्यान्यवयन हो रहा है. जो सरासर गलत है. शीर्ष अदालत ने इस प्रावधान को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया है. बता दें कि शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि POSH अधिनियम 2013 के प्रावधानों को सार्वजनिक उपक्रमों और अन्य निकायों जैसे निजी नियंत्रण वाले संगठन में सख्ती से लागू कराया जाए.
वहीं राज्य स्तर, विश्वविद्यालयों, आयोगों और अन्य संगठनों आदि समेत अन्य राज्य प्राधिकरणों/निकायों द्वारा उपर्युक्त के समान तौर पर लागू किया जाए. अदालत ने यह भी कहा है कि सभी निकायों/संस्था/संगठनों के सदस्यों/कर्मचारियों/नियोक्ताओं को पॉश अधिनियम 2013 के प्रावधानों से परिचित कराया जाना चाहिए. किसी भी संगठन के प्रमुख संबंधित अधिकारियों/नियोक्ताओं को POSH अधिनियम 2013 के महत्व के बारे में अपने सदस्यों के लिए जागरुकता सत्र आयोजित करने चाहिए.
इसके साथ ही कोर्ट ने NALSA और अन्य राज्य विधिक सेवा समिति को विश्वविद्यालयों, स्कूलों और अन्य संगठनों आदि में संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए POSH अधिनियम 2013 पर मॉड्यूल विकसित करने को कहा है. राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी और अन्य राज्य न्यायिक अकादमियों को POSH अधिनियम 2013 को अपनी अनुसूची में शामिल करने का आदेश दिया है.
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