नई दिल्ली: रामनगरी अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण कार्य का शुभारंभ होने के तक़रीबन दो माह बाद और अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा विध्वंस किए जाने के 28 वर्ष पश्चात इस मामले का फैसला अब अगले सप्ताह यानी 30 सितंबर तक आएगा. यह केस के निपटारे और फैसला सुनाने के लिए शीर्ष अदालत की तरफ से तय की गई समयसीमा की अंतिम तारीख है.
काफी लंबे खिंचे इस मुकदमे ने वास्तविक रफ्तार तब पकड़ी जब देश की सबसे बड़ी अदालत ने इसे निपटाने और सुनवाई कर रहे जज की सेवानिवृत्ति तारीख दोनों को कई बार आगे बढ़ाते हुए अंतिम समयसीमा भी निर्धारित कर दी. शीर्ष अदालत ने अप्रैल 2017 में दो साल के अंदर मुकदमा निपटा कर फैसला सुनाने का आदेश दिया था. इसके बाद तीन बार तारिख बढ़ाई और अंतिम तिथि 30 सितंबर 2020 मुक़र्रर की थी.
इसी तारीख पर फैसला आने वाला है, जिसमे अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं. पूरी दुनिया में कुछ चर्चित मामलों में से एक इस केस पर नज़र डालें तो घटना की पहली FIR उसी दिन 6 दिसंबर 1992 को श्रीराम जन्मभूमि सदर फैजाबाद पुलिस थाने के थानाध्यक्ष प्रियंबदा नाथ शुक्ल ने लिखवाई थी. दूसरी प्राथमिकी भी राम जन्मभूमि पुलिस चौकी के प्रभारी गंगा प्रसाद तिवारी द्वारा ही दर्ज कराइ गई थी.
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