नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय और देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों से मौत की सजा मिलने के बाद बचाव की गुहार लगाने पहुंचे 40 मामलों पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार से सुनवाई करेगी. लॉकडाउन के दौरान ये मामले पेंडिंग पड़े थे. अब शीर्ष अदालत की तीन जजों की बेंच इनपर एक साथ सुनवाई करेगी. इन 40 मामलों में सर्वोच्च न्यायालय से ही मौत की सजा के आदेश के खिलाफ चार पुनर्विचार याचिकाएं भी शामिल हैं.
शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार, फांसी की सजा के फैसले को चुनौती देने वाली इन 40 याचिकाओं में से 14 मामले मध्यप्रदेश के हैं. वहीं, 5 महाराष्ट्र के भी हैं. जबकि 2 केस उत्तराखंड से हैं. दिल्ली से एक केस लश्कर ए तैयबा से संबंधित आतंकी अशफाक उर्फ आरिफ का है. इसे लाल किले पर हमले का मुख्य दोषी बताते हुए मौत की सजा सुनाई गई है. इसे 2005 में फांसी की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद से 16 वर्ष निचली अदालतों के आदेश को चुनौती देने में गुजर गए.
इन याचिकाओं में से एक याचिका झारखंड के मोफिल खान की भी है. मोफिल को अपने 6 भाइयों और भतीजों की काटकर हत्या करने के केस में दोषी पाया गया था. शीर्ष अदालत ने 2014 में उसकी याचिका खारिज कर दी थी. किन्तु उसने अब पुनर्विचार याचिका दाखिल की है.
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