ज्ञानवापी में मिले 'शिवलिंग' के संरक्षण का सवाल, सुप्रीम कोर्ट में कल से अहम सुनवाई

ज्ञानवापी में मिले 'शिवलिंग' के संरक्षण का सवाल, सुप्रीम कोर्ट में कल से अहम सुनवाई
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लखनऊ: बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी स्थित विवादित ज्ञानवापी परिसर में मिले 'शिवलिंग' को सरंक्षित रखने का सर्वोच्च न्यायालय का आदेश खत्म होने वाला है। शीर्ष अदालत के चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने ज्ञानवापी परिसर में मिले 'शिविलिंग' क्षेत्र को सरंक्षित करने की याचिका पर शीघ्र सुनवाई की मांग मान ली है। दरअसल, ज्ञानवापी में 'शिविलिंग' क्षेत्र को सरंक्षित रखने का सर्वोच्च न्यायालय का आदेश 12 नवंबर को समाप्त हो रहा है। इसीलिए हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाते हुए, परिसर में मिले शिवलिंग के संरक्षण और सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए अंतिम आदेश को आगे बढ़ाने की मांग की है। 

अब, शीर्ष अदालत शिवलिंग संरक्षण के आदेश को जारी रखने की मांग पर 11 नवंबर को दोपहर 3 बजे सुनवाई करेगी। हिन्दू पक्ष की तरफ से वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि शिवलिंग संरक्षण का आदेश 12 नवंबर तक का ही है, जो मई में शीर्ष अदालत ने दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि 7/11 को लोअर कोर्ट ने क्या आदेश दिया है ? इस पर विष्णु ने बताया है कि मुस्लिम पक्ष की याचिका को लोअर कोर्ट ने खारिज कर दिया है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संरक्षण को लेकर नई पीठ का गठन करना होगा, कल दोपहर 3 बजे नई बेंच मामले पर सुनवाई करेगी। 

बता दें कि, अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी में पूजन और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर याचिका दाखिल की थी। इस पर सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया था। हिंदू पक्ष ने दावा करते हुए कहा था कि सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला। जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना था कि ये एक फव्वारा है। हालाँकि, शिवलिंग या फव्वारा, इस सवाल का उत्तर देने वाले कार्बन डेटिंग टेस्ट की हिन्दू पक्ष की मांग को कोर्ट से मंजूरी नहीं मिली थी।  इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी और सत्र न्यायालय ने इसे सील करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने मामला, जिला जज को ट्रांसफर कर इस वाद की पोषणीयता पर नियमित सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था। जिला न्यायाधीश ने भी पूजा की मांग वाली याचिका को सुनवाई योग्य माना था।

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