नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए दस फीसद आरक्षण की संवैधानिक वैधता की जांच करने के लिए तैयार हो गया है। अदालत की संविधान बेंच EWS के लिए आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामले में 13 सितंबर को सुनवाई आरम्भ करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा है कि वह मुस्लिमों को आरक्षण देने वाले एक स्थानीय कानून को खारिज करने संबंधी हाई कोर्ट के फैसले के विरोध में दाखिल याचिकाओं पर बाद में सुनवाई करेगा। इससे पहले अदालत EWS के लोगों को दाखिले तथा नौकरी में दस फीसद आरक्षण देने के केन्द्र सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता की जांच करेगा।
चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस दिनेश महेश्वरी, जस्टिस रविंद्र भट्ट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने कहा है कि वह प्रक्रियागत पहलुओं और अन्य ब्योरों पर छह सितंबर को फैसला लेगी और 13 सितंबर से याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी। बता दें कि, केन्द्र सरकार ने 103वें संविधान संशोधन अधिनियम 2019 के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए दाखिलों तथा लोक सेवाओं में आरक्षण का प्रावधान शामिल किया था।
सुप्रीम कोर्ट, आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिकाओं और अन्य याचिकाओं को सुनेगी। बता दें कि आंध्र प्रदेश HC ने मुस्लिमों को आरक्षण देने वाले एक स्थानीय कानून को खारिज कर दिया था। आंध्र प्रदेश HC की पांच न्यायाधीशों वाली बेंच ने चार भिन्न मतों वाले फैसले में ‘स्टेट टू मुस्लिम कम्युनिटी अधिनियम’ 2005 के तहत इन प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
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