नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या शरणार्थियों पर जनवरी तक के लिए सुनवाई आगे बढ़ा दी है, सुप्रीम कोर्ट ने आज रोहिंग्या मुसलमानों पर सुनवाई करते हुए मामले की आखिरी सुनवाई को जनवरी 2019 तक के लिए स्थगित कर दी है. म्यांमार में सैन्य अत्याचार के बाद रोहिंग्या मुसलमानों ने बहुत तेजी से पलायन करते हुए हजारों की संख्या में रोहिंग्या बांग्लादेश और भारत पहुंचे थे.
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रोहिंग्या मुस्लिमों ने भारत में शरण ली जिसपर भारत सरकार ने विरोध जताया था और उन्हें भारत के लिए खतरा तक बता दिया. भारत ने देश में बसे 40,000 रोहिंग्या शरणार्थियों की 'घर वापसी' के कोशिशें शुरू कर दी हैं. गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि 'म्यांमार के नागरिकों' को उनके देश वापिस भेजा जाएगा. म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के चलते बड़े पैमाने पर रोहिंग्याओं को भारत और बांग्लादेश में शरण लेनी पड़ी थी. 25 अगस्त, 2017 को म्यांमार के रखाइन प्रांत में हिंसा से रोहिंग्याओं के पलायन की शुरुआत हुई थी, संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार तकरीबन 6.5 लाख रोहिंग्या म्यांमार से पलायन कर गए थे.
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आपको बता दें कि म्यांमार की बहुसंख्यक आबादी बौद्ध है, रिपोर्ट के अनुसार राज्य की करीब 10 लाख की आबादी को जनगणना में शामिल नहीं किया गया है, रिपोर्ट में यह 10 लाख की आबादी को मूल रूप से इस्लाम को मानने वाली बताई गई है. जनगणना में शामिल नहीं की गई आबादी को रोहिंग्या मुसलमान कहा जाता है, इनके बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं, इसलिए सरकार ने उन्हें नागरिकता देने से साफ़ मना कर दिया है, हालांकि वे पीढ़ियों से म्यांमार में निवास कर रहे हैं.
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