नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि नोटबंदी को लेकर देशभर में हाईकोर्ट और निचली अदालतों में दर्ज मामलों की सुनवाई पर रोक लगा दी जाए. कोर्ट ने कहा राहत के लिए आ रहे लोगों के लिए हम अपने दरवाजे कैसे बन्द कर सकते हैं. लोग व्यग्र हो रहे हैं. जस्टिस टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच ने आगाह किया कि लोगों को अगर कोर्ट आने से रोका गया तो सड़कों पर दंगे हो सकते हैं.
मिली जानकारी के अनुसार कोर्ट ने संज्ञान लिया कि लोग धन के लिए 'व्यग्र हो रहे हैं, घंटों कतार में खड़े रहने की हिम्मत दिखा रहे हैं. बेंच ने व्यवस्था दी कि देशभर में मामले दर्ज होना अपने आप में ही संकेत है कि समस्या 'गंभीर और कितनी बड़ी' है. चीफ जस्टिस ठाकुर ने इंगित किया, 'वो (लोग) अदालतों में राहत के लिए आ रहे हैं. हम अपने दरवाजे उनके लिए बंद नहीं कर सकते. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वो इस दलील को इस हद तक ही विचार कर सकती है कि सारे मामलों को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया जाए.
उल्लेखनीय है कि चीफ जस्टिस ठाकुर और जस्टिस अनिल आर दवे की बेंच ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से अपनी आशंकाएं जताते हुए कहा, 'ये बहुत गंभीर है. गहन विचार की जरुरत है. लोग व्यग्र हो रहे हैं, लोग प्रभावित हो रहे हैं.दंगे हो सकते हैं.' बेंच ने लोगों की परेशानियों को लेकर अटॉर्नी जनरल से पूछा कि क्या आप (केंद्र) इससे अलग राय रखते हैं. तब रोहतगी ने कहा कि इस पर कोई अलग राय नहीं है, लेकिन कतारें छोटी हो रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों से आंकड़ों और अन्य मुद्दों पर लिखित में तैयार रहने के लिए कहा. अटॉर्नी जनरल ने एक निजी पक्ष के लिए पैरवी कर रहे कपिल सिब्बल की ओर से स्थिति को कथित तौर बढ़ा-चढ़ा कर बताने पर ऐतराज भी जताया.