नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व नयायधीश जस्टिस बीएस चौहान के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने एक उच्चाधिकार समिति गठित की है, जो वकीलों की कानून की डिग्री की प्रामाणिकता के सत्यापन की जांच करेगी. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वो वकील प्रैक्टिस करने के योग्य हैं या नहीं. यदि वकील प्रैक्टिस करने के योग्य नहीं पाए जाते हैं. तो समिति उन्हें जांच के बाद सिस्टम से बाहर कर देंगी.
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि नामांकित ज्यादातर अधिवक्ताओं ने अभी तक अपने सत्यापन फॉर्म तक नहीं जमा किया है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को आशंका है कि इनमें से कई लोग प्रैक्टिस करने योग्य नहीं हैं, कई बाहरी उद्देश्यों के लिए हैं और ऐसे वकीलों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें सिस्टम से बाहर कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि, न्याय प्रशासन और अदालत प्रणाली की अखंडता की रक्षा के लिए राज्य बार काउंसिल में पंजीकृत अधिवक्ताओं का उचित सत्यापन बेहद जरुरी है. वकील होने का दावा करने वाले लोगों को न्यायिक प्रक्रिया तक पहुंच नहीं दी जा सकती है, यदि उनके पास शैक्षिक योग्यता या डिग्री प्रमाण पत्र नहीं है. जिसके आधार पर उन्हें बार में एंट्री दी जा सके.
इस तरह यह सभी वास्तविक वकीलों का कर्तव्य है कि वे अपनी डिग्री सत्यापित करने की इस प्रक्रिया में सहयोग करें. जब तक यह प्रक्रिया समय-समय पर नहीं की जाती, तब तक न्याय प्रशासन गंभीर संकट में रहेगा.
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