सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त 3 सदस्यीय समिति ने तीन नए लागू किए गए कृषि कानूनों पर अपनी रिपोर्ट सीलबंद कवर में शीर्ष अदालत को सौंप दी है। सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस मामले में करीब 85 किसान संगठनों से सलाह ली गई है। समिति ने इस मामले का हल निकालने के लिए किसान संगठनों के साथ बैठक के बाद अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच इसे सुनवाई और चर्चा के लिए ले जाने तक रिपोर्ट की सामग्री का खुलासा नहीं किया जाएगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 5 अप्रैल के बाद होने की उम्मीद है क्योंकि होली की छुट्टी के बाद सुप्रीम कोर्ट फिर से खुलेगा। 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर दो महीने के लिए रोक लगा दी थी और तीन सदस्यीय समिति को हितधारकों से सलाह-मशविरा करने के बाद दो महीने के भीतर रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
समिति में तीन सदस्य हैं- शेतकरी संगठन के डॉ अशोक गुलाटी, डॉ प्रमोद जोशी और अनिल घनावत, जो किसानों के निकायों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं। चौथे सदस्य- बीकेयू (मान) के भूपिंदर सिंह मान ने पैनल के गठन के दो दिन बाद ही खुद को फिर से इस्तेमाल किया था। खासकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों से हजारों किसान नए कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। उनका कहना है कि कानून कॉर्पोरेट समर्थक हैं, मंडी प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं और उनकी सौदेबाजी की शक्ति को क्षीण कर सकते हैं। हालांकि सरकार का कहना है कि कानून कृषि क्षेत्र में बहुत जरूरी सुधारों का सूत्रपात करेंगे और अंतत किसानों की मदद करेंगे।
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