आरक्षण को लेकर SC की बड़ी टिप्पणी, क्रीमी लेयर पर बोली यह बात

आरक्षण को लेकर SC की बड़ी टिप्पणी, क्रीमी लेयर पर बोली यह बात
Share:

भारत की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आरक्षण केस के एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार को इन चीजों की फिर से समीक्षा करनी चाहिए. आरक्षण प्रदान करने के लिए अनुसूचित जातियों, अनुसूचित और सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की पुरानी सूची पर काम करते रहना किसी भी तरह से ठीक नहीं है. सरकार को अब ऐसी सूची को संशोधित करना चाहिए क्योंकि 70 साल पहले जिन लोगों को इस सूची में रखा गया था अब वो हर तरह से संपन्न हो चुके हैं. ऐसे लोगों की वजह से अब आरक्षण का असली लाभ उन लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है जिनको आज के समय में इसकी आवश्यकता है.

इस प्रतियोगिता में भाग ले सकती है भारतीय शतरंज टीम

इस मामले को लेकर आगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लाभार्थियों की ऐसी सूची को सरकार द्वारा संशोधित किया जाना चाहिए. सरकार को ऐसी सूची में अब ऐसे लोगों को रखना चाहिए जो जरूरतमंद हैं और जिनको आरक्षण की आवश्यकता है. जस्टिस की पांच-न्यायाधीश की पीठ कहा कि पिछले 70 सालों में कुछ समुदायों द्वारा आरक्षण का लाभ उठाया जा रहा है और वे आर्थिक और सामाजिक रूप से ठीकठाक हो चुके हैं मगर अभी भी उसी वर्ग के बाकी लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है क्योंकि पहले से लाभ ले रहे लोगों की वजह से ये लाभ नीचे के लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है.

मध्यप्रदेश उपचुनाव : कांग्रेस और भाजपा में होने वाली है महा टक्कर, इस नेता पर टिकी निगाहे

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जिनको पहले लाभ मिल गया वो ही लाभ लिए जा रहे हैं बाकी उसके इंतजार में हैं. इस वजह से आरक्षित वर्ग के दूसरे लोगों में असंतोष व्याप्त हो रहा है. कोर्ट ने कहा कि आरक्षित सूची में शामिल ऐसे सभी लोगों को इसका लाभ मिलना चाहिए इसे स्थानीय सरकारों को तय करना है. इसमें कहा गया है कि आरक्षित’ वर्ग के भीतर असंतोष है जिसे सूची को संशोधित करके संतोषजनक किया जा सकता है. साथ ही, कोर्ट ने साल 2000 में दाखिल किए गए एक मामले की सुनवाई करते हुए अपना ये फैसला सुनाया. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आंध्र प्रदेश के तत्कालीन राज्य के जनवरी 2000 के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें अनुसूचित क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों के पद के लिए अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को 100 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया था, यह कहते हुए कि यह "मनमाना" है और "अनुमति नहीं है" “संविधान के तहत. 

खाड़ी देशों में भारत के खिलाफ जहर उगल रहा पाक, बनाए ढेरों फर्जी अकाउंट

रक्षा सौदों पर कोरोना का असर, तीनों सेनाओं की डिफेंस डील रुकी

कोरोना संकट के बीच जेल से रिहा हुआ कैदी, पुलिस को करेंगे वीडियो कॉल

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -