हमारे शास्त्रों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सूरज को जल का अर्ध्य देकर नमस्कार करना बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है।वही पुरातन काल से ही सूर्य देव की उपासना लोग करते आ रहें हैं। इसके अलावा आज भी इनकी कृपा दृष्टि के लिए लोग सूरज को जल नियमित रूप से अर्पित करते हैं। इसके अलावा सूरज देव को प्रत्यक्ष देवता की उपाधि दी गई है क्योंकि हर कोई इनके दर्शन कर सकता है।
इन बातों का रखें खास ध्यान:
सूरज देव को जल चढाने का सबसे पहला नियम होता है। सूर्य देव के निकलने के एक घंटे के भीतर ही उन्हें जल का अर्ध्य देना चाहिए। वही यह बहुत फायदेमंद होता है।आप आठ बजे तक भी नहा धोकर भी जल चढ़ा सकते हैं लेकिन ज्यादा देरी नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा जल अर्पण करते समय आपका मुँह पूर्व दिशा की और होना चाहिए। वही यदि कभी किसी कारण सूर्य नहीं दिख रहा है। तो भी पूर्व दिशा की और ही खड़े रहकर जल अर्पण करना चाहिए।
इसके अलावा अर्ध्य देते समय आपके दोनों हाथ आपके सिर से ऊपर होने चाहिए। जिससे सूर्य की सातों किरणों का प्रकाश आप पर पड़ सके। आप चाहे तो जल में फूल व् चावल में डाल सकते हैं। वही जल अर्पित करने के बाद तीन बार परिक्रमा भी जरूर करें। सूर्य मंत्र का जाप लगातार करते रहें, ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा। यदि आपकी कुंडली में सूर्य देव की स्थिति सही नहीं है।आपको लाल रंग के वस्त्र पहनकर सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। और धूप व् अगरबत्ती भी जलाकर पूजा करनी चाहिए।
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