नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने आज मंगलवार को ‘सूर्य नमस्कार’ के प्रति विरोध जाहिर किया है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव की तरफ से जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि केंद्र सरकार के सूर्य नमस्कार के प्रस्तावित कार्यक्रम से मुस्लिम विद्यार्थियों को ऐसे कार्यक्रम में हिस्सा लेने से बचना चाहिए.
बता दें कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर 1 जनवरी से 7 जनवरी के बीच स्कूलों में ‘सूर्य नमस्कार’ कार्यक्रम का आयोजन करने के सरकार के निर्देश की खिलाफत की है. बोर्ड ने कहा है कि ‘सूर्य नमस्कार’ सूर्य पूजा का एक रूप है और इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता है. दरअसल, सरकार ने निर्देश दिया है कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 1 से 7 जनवरी तक स्कूलों में ‘सूर्य नमस्कार’ करवाया जाए. ‘सूर्य नमस्कार’ के खिलाफ AIMPLB के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने बयान में कहा है कि भारत एक धर्म निरपेक्ष, बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक देश है, इन्हीं सिद्धांतों के आधार पर हमारा संविधान लिखा गया है, स्कूल की पाठ्यचर्या और अपाठ्यचर्या में भी इसका ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं.
बोर्ड के महासचिव सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि मौजूदा सरकार संविधान के सिद्धांत से भटक रही है और बहुसंख्यक संप्रदाय की सोच और परंपरा को थोपने की कोशिश कर रही है. बता दें कि भारत सरकार के अधीन सचिव, शिक्षा मंत्रालय ने 75वें स्वतंत्रता दिवस पर 30 राज्यों में ‘सूर्य नमस्कार’ की एक परियोजना चलाने का फैसला लिया है, जिसमें 30 हजार स्कूलों को शामिल करने की योजना है. AIMPLB ने सरकारी आदेश के खिलाफ कहा कि ‘सूर्य नमस्कार’ सूर्य की पूजा करने का एक तरीका है, इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक न तो सूर्य को देवता मानते हैं और न ही उसकी पूजा को उचित मानते हैं. इसलिए सरकार का कर्तव्य है कि वह ऐसे निर्देशों को वापस ले और देश के धर्मनिरपेक्ष भावना का आदर करे.
दक्षिण अफ्रीका: संसद में आरोपित संदिग्ध अदालत में पेश होगा
लेबनान के राष्ट्रपति ने कोविड के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर टीकाकरण का आग्रह किया
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण AICF ने स्थगित की शतरंज की प्रतियोगिता