"सुषमा स्वराज", इस नाम से तो आप वाकिफ होंगे ही. क्योकि आज यह नाम देश में ना केवल एक लोकप्रिय नेता के तौर पर विख्यात है बल्कि भारत की पहली महिला विदेश मंत्री के रूप में भी जाना जा रहा है. देश के नाम को दुनिया के हर कोने तक पहुँचाने का यह कार्य केंद्रीय मंत्री स्वराज भी बखूबी कर रही है. यह बात भी किसी से छुपी नहीं है कि स्वराज ही ऐसी महिला है जिन्हें देश की राजधानी दिल्ली की प्रथम महिला मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ. इसके अलावा देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्ही के नाम है.
आगे बढ़ते हुए सुषमा के बारे में अधिक बात करे तो आपको बताते चले कि उनका जन्म 14 फ़रवरी, 1952 को हरियाणा की अंबाला छावनी में हुआ. सुषमा ने अपनी शिक्षा के अंतर्गत कला स्नातक और विधि स्नातक की डिग्रियाँ हासिल की. इसके अलावा वे सुप्रीम कोर्ट में भी वकालत का कार्य करती हैं. सुषमा का विवाह स्वराज कौशल के साथ 13 जुलाई, 1975 को सम्पन्न हुआ. स्वराज कौशल के बारे में आपको बता दे कि वे 6 साल तक राज्य सभा में सांसद और मिजोरम में राज्यपाल भी रहे. उनके नाम अब तक के सबसे कम आयु में राज्यपाल का पद प्राप्त करने वाले व्यक्ति का भी ख़िताब है. इस जोड़े की उपलब्धियों के रिकॉर्ड को स्वयं "लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड" में भी दर्ज किया गया है. सुषमा की एक बेटी (बांसुरी) भी है जोकि वकालत कर रही है.
कामयाबी का सफर -
श्रम और रोज़गार (1977-1979)
शिक्षा, खाद्य और नागरिक आपूर्ति (1987-1990)
सूचना और प्रसारण (16 मई 1996-1 जून 1996)
सूचना और प्रसारण और दूरसंचार (अतिरिक्त प्रभार) (19 मार्च-12 अक्टूबर 1998)
सूचना और प्रसारण (30 सितंबर 2000 से 29 जनवरी 2003)
स्वास्थ मंत्री एवं संसदीय मंत्री (29 जनवरी 2003 से 22 मई 2004)
पाँचवी बार राज्य सभा के लिए पुन: चुनी गईं (अप्रेल 2006)
पंद्रहवीं लोकसभा के लिए छटवीं बार चुनी गईं (16 मई 2009)
लोक सभा के उपनेता विपक्ष चुनी गईं (3 जून 2009)
नेता विपक्ष चुनी गईं (21 दिसम्बर 2009)
कुछ लाजवाब -
हरियाणा-विधान सभा (1977-1982 और 1987-1990)
मुख्यमंत्री (दिल्ली) (13 अक्टूबर-3 दिसंबर 1998)
सदस्य राज्य सभा (अप्रैल 2000)
विदेश मंत्री (26 मई 2014 से अब तक)
1. इस वक्त सुषमा महज 5 वर्ष की थी. इस दौरान इनके पिता और दादा दोनों आरएसएस से जुड़े थे. उनके पिता उन्हें पलवल के छठ मेले में ले गए जहाँ आरएसएस ने अंताक्षरी का आयोजन किया. दो ग्रुप यहाँ आमने-सामने थे. सुषमा भी एक ग्रुप में अपने पिता के साथ बैठी थी. ग्रुप "था" अक्षर पर रुक हुआ था क्योकि किसी को भी इसपर गाना नहीं आ रहा था. तब सुषमा ने "थाल सजाकर किसे पूजने चले प्रात ही मतवाले" गाया और अपने ग्रुप को जिताया.
2. यहाँ सुषमा 10 वर्ष की हो चुकी थी और वक़्त था 1962 में चीन युद्ध का. अम्बाला एक बड़ा रेलवे स्टेशन था जहाँ गाड़ियां बहुत समय रुका करती थी. तब आरएसएस के स्वयंसेवक सैनिकों को पानी-चाय और खाना दिया करते थे.इस दौरान सुषमा भी पिता के साथ यहाँ जाती थी और सैनिकों को देशभक्ति के जोशीले गीत सुनाया करती थीं.
3. सुषमा 26 साल की हुई, तब 1978 में इंदिरा गांधी कर्नाटक के चिकमंगलूर से उपचुनाव लड़ रही थी. यहाँ उसके खिलाफ खुद सुषमा चुनाव प्रचार करने गई. यहाँ उन्होंने कन्नड़ के कुछ वाक्यो का बखूबी इस्तेमाल किया. कर्नाटक के बेल्लारी से वर्ष 1999 में सोनिया गांधी ने अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ने के लिए आगे आई. इसे काग्रेस की परम्परागत सीट कहा जाता था लेकिन इसके बाद भी सुषमा ने सोनिया के खिलाफ अपनी उम्मीदवारी का एलान किया. हालांकि यहाँ जीत सोनिया की ही हुई लेकिन सुषमा ने खुद को यहाँ साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
4. बातें कहती है कि सुषमा को ज्योतिष और रत्नों के असर में अटूट विश्वास है. इसके अनुसार ही वे खास रंग की साड़ियां भी पहनती है और चीजो का भी सेवन करती है. इसका उदाहरण तब देखने को मिला जब सुषमा ने पाकिस्तान जाते वक़्त खासतौर पर हरे रंग की साडी पहनी थी.
5. यह समय था वर्ष 2004 का, जब कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को लोकसभा में बहुमत मिला था. इस दौरान सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने के कयास लगाए जा रहे थे. लेकिन सुषमा के एक एलान ने इस फैसले को एक नई दिशा ही दे दी. बता दे सुषमा ने एलान किया कि यदि इटली में जन्मी सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बन जाती है तो वे सिर मुंडाकर सफेद साड़ी पहन लेंगी. और साथ ही जब तक सोनिया इस पद पर रहेगी वो काली दाल खाएंगी, जमीन पर सोएंगी और संन्यासियों की तरह जिंदगी गुजरेंगी. इसके बाद ही यह भी देखने को मिला कि सोनिया ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनवाया.
6. ऐसा नहीं है कि राजनीती के अखाड़े में उतरी सुषमा किसी अन्य क्षेत्र में रूचि नहीं दिखाती है. दरअसल नाचने और गाने की शौकीन सुषमा शत्रुघ्न सिन्हा की बहुत बड़ी फैन हैं. यही नहीं शत्रुघ्न भी उनकी काबिलियत के प्रशंसक है. जहाँ सुषमा का कहना है कि उन्होंने फिल्म "खाकी" में शत्रुघ्न के परफॉर्मेंस के लिए ताली बजाई थी तो शत्रुघ्न 4 फुट 11 इंच की सुषमा स्वराज को ‘द लॉन्ग एंड शॉर्ट ऑफ बीजेपी’ कहते हैं. इसके साथ ही वे लिखते है ‘...परंतु छोटी ज्यादा मैच्योर है.’ इसका जिक्र शत्रु की ऑफिशियल बायोग्राफी ‘एनीथिंग बट खामोश’ में भी किया गया है.
सुषमा के जीवन के इन किस्सो के अलावा भी कई ऐसी बातें है जोकि उन्हें अपनेआप में कुछ अलग और खास बनाती है. जैसे अभी कुछ दिनों पहले की ही बात करे तो सुषमा ने खुद की किडनी ख़राब होने की जानकारी ट्वीट की. उन्होंने लिखा कि "मैं एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) में हूँ. मेरे गुर्दे ख़राब हो गए हैं. किडनी ट्रांसप्लांट के लिए मेरे टेस्ट किए जा रहे हैं. भगवान कृष्ण मुझे आशीर्वाद दें." सुषमा के इस ट्वीट के बाद उनके लिए दुआओं का जैसे ताँता लग गया. देशभर में जैसे इस खबर के साथ ही आलम बदलता गया, हर कोई दुआओं और आशीर्वाद के साथ सामने आने लगा. इतना ही नहीं देश के लोग अपने धर्म को भी किनारे कर सुषमा को अपनी किडनी देने के लिए आगे आता नजर आने लगा. अंत में किसी महिला ने उन्हें किडनी दी और खबर यह सामने आई कि वह महिला सुषमा की रिश्तेदार नहीं थी.
कुछ ऐसी ही है देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनकी जिंदगी. हम भी यही दुआ करते है कि सुषमा ऐसे ही मुस्कुराती रहे और देश का गौरव बढाती रहे.