NSG मुद्दे पर चीन से मतभेद कम करने की कोशिश हो रही है

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नई दिल्ली : परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) मुद्दे पर लोक सभा में अपनी स्तिथि स्पष्ट करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि चीन ने इस मुद्दे पर प्रक्रियागत बाधाएं खड़ी की. इस मसले पर सरकार चीन से मतभेदों को दूर करने के प्रयास कर रही है. विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर कभी हस्ताक्षर नहीं करेगा, हालांकि वह निरस्त्रीकरण के लिए प्रतिबद्ध है. सुप्रिया सुले, सौगत बोस के पूरक प्रश्न के उत्तर में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि मैंने पहले भी कहा था, आज भी कह रही हूं, सदन में कह रही हूं कि चीन ने प्रक्रियागत विषयों को उठाया था.

चीन ने कहा था कि एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाला देश एनएसजी का सदस्य कैसे बन सकता है. इस तरह से चीन ने प्रक्रियागत बाधा खड़ी की. चीन के बहाने कांग्रेस को घेरते हुए सुषमा ने कहा कि एक बार कोई नहीं माने तो हम यह नहीं कह सकते कि वह कभी नही मानेगा. हमारे कांग्रेस के मित्र जीएसटी पर नहीं मान रहे हैं. अन्य सभी दल मान गए हैं. केवल कांग्रेस नहीं मान रही है. हम मनाने में लगे हैं. विदेश मंत्री ने कहा कि लेकिन वह (कांग्रेस) एक बार नहीं माने तो क्या हम यह कहें कि वे कभी नहीं मानेंगे. हम मनाने में लगे हैं, हो सकता है कि जीएसटी इसी सत्र में पास हो जाए.

2008 में असैन्य परमाणु संबंधी जो छूट हमें मिली थी, उसमें एनपीटी का सदस्य बने बिना ही इसे आगे बढ़ाने की बात कही गई थी.2008 के बाद से छह वर्ष इस प्रतिबद्धता को पूर्व की सरकार ने पूरा किया और इसके बाद वर्तमान सरकार इस प्रतिबद्धता को पूरा कर रही है. एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत ने आधा अधूरा नहीं बल्कि भरपूर प्रयास किया .एनएसजी की सदस्यता के प्रयास में भारत को सफलता नहीं मिलने को कूटनीतिक विफलता नहीं माना जा सकता.बल्कि इसे आगे सफलता का रास्ता माना जाता है. एनएसजी का सदस्य बने बिना संवेदनशील प्रौद्योगिकी हस्तांतरण नहीं हो सकता.

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